रोजाना ग्रीन टी पिने से होते है ये…फायदे

ग्रीन टी, सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है इससे शायद ही आज कोई अंजान है। फिटनेस को प्रियोरिटी देने वालों के तो डाइट का ये बहुत ही खास हिस्सा बन चुकी है। लेकिन इसे कब पीना चाहिए, कितनी मात्रा में पीना चाहिए जैसी चीज़ों पर कम ही लोगों का ध्यान ज्यादा है। तो आपको बताना चाहेंगे कि किसी भी चीज़ को फायदा लेने के लिए जरूरी है उसे सही तरीके से खाना या पीना। तो आज हम ग्रीन टी के बारे में जानेंगे।

खाली पेट भी ग्रीन टी का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। कुछ खाने के बाद ही इसे पिएं। एक कप ग्रीन टी में 24-25 एमजी कैफीन मौजूद होता है। इसका मतलब अगर आप दिन में 4 से 5 कप ग्रीन टी पीते हैं तो कैफीन की मात्रा बढ़ जाएगी। जिसकी वजह से घबराहट, चक्कर, डायबिटीज, कब्ज,अनिद्रा, सीने में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

ग्रीन टी पीना है तो दो मील के बीच में पिएं। लेकिन, खाने के साथ नहीं। क्योंकि इसमें कैटेकिन (catechin) मौजूद होता है। जो बॉडी में आयरन के अवशोषित होने में दिक्कत पैदा करता है, जिससे शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। इसलिए ग्रीन टी खाने के साथ अवॉयड करें। साथ ही साथ खाने में विटमिन सी और आयरन की भी भरपूर मात्रा लें।

ऐसी दवाएं जो नर्वस सिस्टम के लिए होती हैं, उन्हें ग्रीन टी के साथ नहीं पिएं। ग्रीन टी कुछ दवाओं के साथ मिलकर नुकसान पहुंचाती है। ग्रीन टी में मौजूद कैफीन नर्वस सिस्टम को प्रोऐक्टिव कर देता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती हैं।

प्रेग्नेंसी में और उसके बाद भी अगर बच्चे को दूध पिलाती हैं तो ग्रीन टी पीना अवॉयड करें। बहुत ज्य़ादा मात्रा गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकती है। ग्रीन टी में मौजूद कैफीन दूध के जरिए शिशु तक भी पहुंचता है, जो उसके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता।

ऑस्टियोपोरोसिस में कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ग्रीन टी की वजह से हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम का इस्तेमाल नहीं हो पाता और वह शरीर से बाहर निकल जाता है। ऐसे में कैल्शियम की कमी ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ा सकती है।

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