दारोगा ने जहां की सुसाइड, उस जगह से मिले सिगरेट के 15 टुकड़े, चल रही जांच

मुजफ्फरपुर/ कांटी.आत्महत्या से पहले रविवार को दारोगा संजय कुमार गौड़ टेंशन में लगातार सिगरेट फूंक रहा था। वह घटना से पहले जिस कुर्सी के पास बैठा था उसके आस पास और बेडरूम के पास से सीएफएसएल की टीम ने सोमवार को सिगरेट के 15 टुकड़े जब्त की। डीआईजी अनिल कुमार सिंह रविवार को पटना से आई सीएफएसएल की तीन सदस्यीय टीम के साथ पानापुर ओपी पहुंचे। सीएफएसएल के वैज्ञानिकों ने घटनास्थल की बारीकी से जांच की। डीआईजी ने थाना में तैनात जवानों और मौजूद चौकीदारों का बयान लिया। पानापुर ओपी के पास के दुकानदारों से भी पूछताछ की गई।
दारोगा ने जहां की सुसाइड, उस जगह से मिले सिगरेट के 15 टुकड़े, चल रही जांच
संजय ने जिस पिस्टल से गोली मारी थी उसके गन पाउडर की भी जांच की गई। इसके अलावा टीम ने खून के नमूनों को घटनास्थल से उठाया। घटना के वक्त संजय कहां बैठा था, किस स्थिति में गोली लगी, गोली लगने के बाद वह कैसे गिरा होगा, इन सभी बिंदुओं पर जांच की गई। इसके बाद डीआईजी ने पानापुर ओपी में मौजूद पुलिसकर्मी का बयान लिया और विस्तार से घटना के बारे में चर्चा की। वहीं पुलिस उपाधीक्षक कृष्ण मुरारी प्रसाद ने भी ओपी के सभी सदस्यों से पूछताछ की। दुकानदारों ने डीआईजी को घटना से पहले बकाया चुका देने की जानकारी दी। टेंशन में अक्सर कुछ-कुछ बोलने की बात भी कही।

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डीआईजी ने बताया कि संजय की मृत्यु को लेकर यूडी केस दर्ज कर ली गई है। बयान में मौजूद लोगों ने संजय के टेंशन में होने की बात बतायी है। संजय के द्वारा शराब सेवन की बात भी कही जा रही है। वैशाली में वह पहले भी शराब सेवन के बाद मारपीट करने के मामले में फंस चुका था। इसके अलावा जमीन को लेकर बड़ी राशि फंसे होने की बात भी बतायी जा रही है।

 
हथियार रखने में लापरवाही में लपेटे में आए दारोगा हारून
हथियार को रखने के लिए तय पुलिस मैनुअल का पालन नहीं करने में दारोगा मो. हारून लपेटे में आ गए। बाथरूम जाने से पहले उन्होंने अपने पिस्तौल को बक्से में बंद करके नहीं रखा। जबकि हथियार को शरीर से अलग करने पर उसे हमेशा पेटी में बंद करके रखने को लेकर पुलिस मैनुअल तय है। यदि इस मैनुअल का पालन हुआ होता तो संजय को पिस्तौल ही नहीं मिला होता। इस संदर्भ में मो. हारून ने बताया कि हरबड़ी में उसने पिस्तौल को बक्से में बंद नहीं किया लेकिन बेड के नीचे छिपकर रखा था। उन्होंने कहा कि यह कौन जानता था कि ठीक ठाक से बात कर रहा एक दारोगा उसके पिस्तौल से गोली मार लेगा। यदि संजय के द्वारा पूर्व में कभी हथियार को लेकर गैर जिम्मेवार हरकत किया होता तो सतर्क रहता और पिस्तौल को बक्सा में बंद कर देता।
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