रिसर्च में बड़ा खुलासा, सिगरेट पीने से जा सकती है आंखों की रोशनी
हम सभी जानते हैं कि ध्रूमपान करना हमारी सेहत के लिए कितना हानिकारक होता है। दुनियाभर में दस मौतों में से एक मौत की वजह धूम्रपान है।इनमें आधी मौतें चार देशों-चीन, भारत, अमेरिका और रूस में होती है। अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सिगरेट पीने से सिर्फ फेफड़ों का कैंसर ही नहीं होता बल्कि अंधापन, डायबिटीज, लीवर का कैंसर और पौरूष में कमी जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। धूम्रपान की वजह से हर साल लगभग 60 लाख लोग मारे जा रहे हैं और इनमें से अधिकतर मौतें कम तथा मध्यम आय वाले देशों में हो रही हैं।
सिगरेट या बीड़ी का धुआं किसी मजहब और प्रांत को नहीं पहचानता, किसी रिजर्वेशन या राजनीतिक झुकावों को नहीं जानता। उसका सबके लिए एक ही मेसेज है, और वह है मौत। अमेरिकी सरकार ने 2020 तक धूम्रपान करने वालों की दर को 12 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य रखा है, जिसे पूरा करना मुश्किल दिखता है. आजकल मिलने वाली सिगरेटें पहले के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हैं. जिसके कारण सिगरेट पीने वालों को फेफड़ों के कैंसर का खतरा ज्यादा है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट 1990 और 2015 के बीच 195 देशों की धूम्रपान आदतों पर आधारित है। यह पाया गया कि 2015 में करीब एक अरब लोग ने रोजाना धूम्रपान किया। इसमें चार में एक पुरुष और 20 में से एक महिला शामिल रही।
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रिपोर्ट में कहा गया कि विशेषज्ञों ने पाया है कि सिगरेट पीने वालों की आंखों की रोशनी जाने का खतरा होता है। इसके अलावा धूम्रपान से होने वाली बीमारियों की सूची में डायबिटीज, मलाशय और लीवर कैंसर और टीबी भी शामिल है। मुख्य रूप से तो ऊंची सोसायटी में अपना स्थान बनाने के लिए लोगों में यह गलत अवधारणा है की धूम्रपान एक अच्छा माध्यम है। रईस लोगों के बीच में अगर कोई धूम्रपान न करे तो उसे मज़ाक का पात्र बनाया जाता है ,इससे बचने के लिए धूम्रपान करते हैं। कॉलेज में जब विद्यार्थी पहली बार प्रवेश करते हैं तो अक्सर पुराने विद्यार्थी जबरन उन्हें धूम्रपान कराते हैं। बाद में इस आदत को छोड़ पाना उनके लिए संभव नहीं होता।
धूम्रपान से होने वाले नुकसान के विषय में चिन्तन सबसे पहले 1930 से प्रारंभ हुआ था जिसके बाद से इस विषय पर निरंतर चर्चाएं होती रहती हैं किन्तु फिर भी सम्पूर्ण विश्व के आंकड़ों को अगर देखा जाए तो धूम्रपान से मरने वालों की संख्या में निरंतर वृद्धि पाई जा रही है। एक समीक्षा के अनुसार प्रति वर्ष विश्व में धूम्रपान के कारण 80 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। दुनिया में हर साल पचास अरब रुपये धूम्रपान पर खर्च किए जाते हैं। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि अगर यही स्थिति जारी रही तो 2020 तक धूम्रपान के कारण मरने वालों की संख्या एक करोड़ सालाना हो जाएगी।