COA के खिलाफ एकजुट हुआ BCCI, बोर्ड पदाधिकारियों ने की बैठक

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के अड़ियल रवैये के खिलाफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) एकजुट हो गया है। सीओए द्वारा बीसीसीआइ में सीधे दखल से नाराज बोर्ड के 22 सदस्य शनिवार को दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में इकट्ठे हुए। शनिवार की सुबह पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन पहुंचे।

इसके बाद बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना (दिल्ली) और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी (हरियाणा) ने उनसे मुलाकात की। हालांकि अनौपचारिक बैठक शुरू होने से पहले ये दोनों वहां से निकल लिए।

इस बैठक में छत्तीसगढ़, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा, मध्य प्रदेश, सौराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, राजस्थान, रेलवे और गोवा राज्य क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि शामिल हुए जबकि बंगाल क्रिकेट संघ के मुखिया सौरव गांगुली, एनसीसी के अविषेक डालमिया, हिमाचल के अरुण ठाकुर, सीसीआइ के कपिल मलहोत्रा, सर्विसेज के सत्यव्रत शेरोन, बड़ौदा के स्नेहल पारिख, पंजाब क्रिकेट संघ के जीएस वालिया और केरल क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि टेली कांफ्रेंस के जरिये इस बैठक से जुड़े।

झारखंड क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि और बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी को इस बैठक में बुलाया नहीं गया था। बैठक के दौरान सीओए के कई फैसलों और बोर्ड के संविधान को ताक पर रखने जैसे 10 अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।

अनौपचारिक बैठक में इन 10 मुद्दों पर चर्चा हुई-

1- भारत में होने वाले घरेलू और द्विपक्षीय सीरीज के मीडिया अधिकारों पर बोर्ड के सीईओ राहुल जौहरी और लीगल टीम की मदद से सीओए के दो सदस्यों ने फैसला लिया। छह साल पहले बीसीसीआइ ने एक मैच के मीडिया अधिकार 43 करोड़ में बेचे थे लेकिन अब प्रत्येक मैच का आधार मूल्य 33 करोड़ कर दिया गया है। इससे बोर्ड को नुकसान होगा।

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2- बीसीसीआइ संविधान को दरकिनार करके सीओए द्वारा फैसले लिए जा रहे हैं। बीसीसीआइ के संविधान के मुताबिक केवल बोर्ड के अधिकृत पदाधिकारी ही बीसीसीआइ का अकाउंट संचालित कर सकते हैं। बोर्ड ने कुछ सवाल उठा दिए थे इसलिए सीओए के दिशा-निर्देशों की वजह से बोर्ड का कोई भी पदाधिकारी अकाउंट को संचालित नहीं कर पा रहा।

3- सीओए की सदस्य डायना इडुलजी द्वारा खुद और अपनी बहन को लाभ दिया जा भी हितों के टकराव में आना चाहिए। इसका ब्योरा भी नहीं दिया गया। सीओए ने कई मुद्दों पर खुद को सर्वोपरि घोषित किया लेकिन जब उनके फायदे की बात आई तो वह चुप रहा। ध्रुव एडवाइजर्स का मसला भी एक अहम बिंदू है।

विक्रम लिमाये सीओए के एक पूर्व सदस्य थे। वह एनएसई के सीईओ बन गए। ध्रुव एडवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर दिनेश कानबार को बीसीसीआइ का टैक्स सलाहकार नियुक्त किया गया, जिसका एनएसई के सदस्य से जुड़ाव है। इस करार पर सीओए की सहमति से सीईओ ने दस्तखत किए लेकिन एक न्यूज पोर्टल में इसकी खबर छपने के बाद उन्हें इसे रोकना पड़ा।

4- बीसीसीआइ के सदस्यों से बिना सुझाव लिए सीओए ने कई संगठनात्मक बदलाव किए। सीओए ने बिना किसी से सलाह लिए और बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए मोटी तनख्वाह पर भर्ती कीं।

5- बिना बातचीत के एनसीए पर फैसले लिए गए। एनसीए की समिति ने उनसे बार-बार बातचीत का निवेदन किया। एनसीए भारतीय क्रिकेटरों के विकास का अभिन्न हिस्सा है और इसकी योजना, विकास और क्रियान्वयन के फैसले में इसके अधिकारियों को नजरअंदाज किया गया।

6- बीसीसीआइ के इतिहास में उसके किसी पदाधिकारी और अधिकारी को बॉडी गार्ड की जरूरत नहीं पड़ी। सीईओ जौहरी (राहुल) को सचिव के नाम पर निजी अंगरक्षक मिले हुए हैं। हाल ही में इन अंगरक्षकों में से एक आइपीएल की एक टीम के मालिक की सुरक्षा सेवा में नजर आया।

7- सदस्यों ने सीओए द्वारा बोर्ड के अधिकारों की धज्जियां उड़ाने पर सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी बात रखने में असमर्थता को लेकर गंभीर चिंता दिखाई।

8- पीआर एजेंसी एडफैक्टर की भूमिका को लेकर भी चर्चा हुई। इसके द्वारा बोर्ड की छवि के उत्थान के लिए किसी भी तरह का कोई भी काम नहीं किया गया। आरोप लगा कि एडफैक्टर बीसीसीआइ के अधिकारियों की छवि चमकाने और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले पदाधिकारियों की छवि खराब करने का काम कर रही है।

9- सीओए आइसीसी के सदस्यों से सीधे बातचीत कर रहा है। जिस कारण आइसीसी में बीसीसीआइ का रुतबा घटा है। चैंपियंस ट्रॉफी के समय में भी ऐसा ही देखा गया।

10- सदस्य अब सीओए से आइसीसी द्वारा बीसीसीआइ को मिलने वाले धन के बारे में सवाल करेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनसे पूछा जाएगा कि उन्होंने क्या कदम उठाए।

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