करोड़ो में बिकी यह नर मछली 50 दिन तक मुंह में रखती है अपने अंडे…
ये मछली इतनी कम है कि इसकी कीमत करोड़ों में लगती है. ब्लैक मार्केट में इसे 2.25 करोड़ रुपए तक बेचा जाता है. क्योंकि फेंग शुई के हिसाब से इसे घर में रखने से तरक्की होती है. पैसा आता है, संपत्ति बढ़ती है. परिवार में प्यार बढ़ता है. इस मछली के लिए लोगों के मन में सम्मान भी है. क्योंकि यह इकलौती ऐसी नर मछली है जो अपने अंडों को मुंह में 50 दिनों तक रखती है. ये अपना मुंह तब खोलती है जब इसके बच्चे थोड़े बड़े हो जाते हैं. इन 50 दिनों तक यह कुछ खाती-पीती नहीं है. सोचिए कोई नर मछली ऐसा दुर्लभ काम कैसे कर सकती है. जबकि अन्य जीवों में मादा ही अपने अंडों का ख्याल रखती हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं कुछ बच्चे कई बार डरकर वापस इसके मुंह में आ जाते हैं. जब तक बच्चे इस लायक नहीं हो जाते कि वो खुद अपना खाना-पीना खोज सकें और सुरक्षित रह सकें. तब तक यह उनका ख्याल रखता है. अगर कोई खतरा महसूस होता है तो यह अपने बच्चों को वापस अपने मुंह में रख लेता है. इस मछली का नाम अरोवाना (Arowana) है. इसे ड्रैगन फिश (Dragon Fish) भी कहते हैं.
अरोवाना की कई प्रजातियां हैं लेकिन सबसे ज्यादा मांग एशियन अरोवाना की होती है. ये सबसे ज्यादा दक्षिण-एशियाई देशों में सबसे ज्यादा पाई जाती हैं. इनके अलग-अलग रंगों के आधार पर इनका नाम रखा गया है. इन मछलियों को चीनी संस्कृति में काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है. इसका फेमस होना ही इसके लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हैं. इसलिए इसकी प्रजाति खतरे में है.
हरे रंग की वैराइटी सबसे ज्यादा मिलती है. यह इंडोनेशिया, वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और मलेशिया. वहीं, सिल्वर एशियन (Silver Asian) बोर्नियो में पाई जाती है. लेकिन इसकी कई सब-वैराइटी भी होती हैं, जैसे- ग्रेट टेल सिल्वर, पिनोह अरोवाना और यलो-टेल अरोवाना. इसके अलावा इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा में रेड-टेल्ड गोल्डेन अरोवाना मिलती है. मलेशिया में गोल्ड क्रॉसबैक, ब्लू मलायन और बुकित मेरा ब्लू अरोवाना मिलती है.
अरोवाना (Arowana) मछली का आकार 35 इंच तक बढ़ता है. यानी इसे घर में रखने के लिए बड़े एक्वेरियम की जरूरत होती है. अन्य मछलियों की तुलना में अरोवाना मछली के प्रजनन का समय लेट होता है. ये 3 से 4 साल में एक बार संबंध बनाते हैं. मादा अरोवाना एक बार में 30 से 100 अंडे देती है. जो अन्य मछलियों के अंडों की तुलना में बड़े होते हैं. जैसे ही मादा अंडे को बाहर निकालती है, तुरंत ही नर अरोवाना उन्हें उठाकर अपने मुंह में रख लेता है. इस प्रक्रिया को माउथ ब्रूडिंग कहते हैं.
माउथ ब्रूडिंग (Mouth Brooding) की इस प्रक्रिया में नर मछली अपने मुंह के अंदर ही लार्वा और अंडों को रखती है. अंडों की मुंह में हैचिंग होती है. जबकि, लार्वा सुरक्षित रहते हैं. ये प्रक्रिया करीब 50 दिनों तक चलती है. इतने दिनों तक नर अरोवाना मछली न तो कुछ खाता है, न पीता है. जब तक बच्चे इस लायक नहीं हो जाते कि वो खुद अपना खाना-पीना खोज सकें और सुरक्षित रह सकें. तब तक यह उनका ख्याल रखता है.
एशियन अरोवाना की एक प्रजाति सिल्वर अरोवाना (Silver Arowana) है. यह ज्यादातर साउथ अमेरिकी देशों के तटों में पाई जाती है. इसे मंकी फिश (Monkey Fish) भी कहा जाता है. क्योंकि ये बंदर की तरह उछलकर अपने शिकार पर हमला करती है. ये कई बार छोटे पक्षियों, चमगादड़ों, चूहों यहां तक की सांपों को भी खा जाती है. हालांकि इनका मुख्य भोजन क्रस्टेशियन, कीड़े, छोटी मछलियां होती हैं.
एशियन अरोवाना प्रजाति को IUCN Red List में साल 2006 में डाला गया था. मछलियों के व्यापार की अंतरराष्ट्रीय संस्था CITES ने इसके व्यापार को प्रतिबंधित कर रखा है. लेकिन ब्लैक मार्केट में इसकी बिक्री होती है. कीमत लाखों में होती है, कई बार तो यह करोड़ों रुपयों में भी बिकती है. एशियन अरोवाना की हालत ज्यादा खराब है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. ताकि इनका शिकार न हो.
एशियन अरोवाना (Asian Arowana) को घर में रखने के लिए जरूरी है कि आपको पास बड़ा एक्वेरियम हो. एक्वेरियम का कवर बहुत मजबूत और टाइट बंद होना चाहिए, क्योंकि ये मछली काफी तेजी और ताकत से बाहर निकलने का प्रयास करती है. पानी पूरी तरह से साफ होना चाहिए और हल्का सा एसिडिक भी. पानी का तापमान 24 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रखना पड़ता है.
एशियन अरोवाना (Asian Arowana) मांसाहारी होती है. इन्हें श्रिंप और क्रिकेट्स खाने में बहुत पंसद आते हैं. इसके अलावा ये केकड़े, बिच्छू, सेंटीपीड्स, मीलवॉर्म, फीडर फिश, छोटे मेंढक आदि को भी खाती है. CITES ने इनके संरक्षण के लिए सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया और अन्य दक्षिण-पूर्वी देशों में 150 से ज्यादा अरोवाना फार्म बनवाए हैं. ताकि इनका व्यवसायिक उपयोग किया जा सके.
हांलाकि, दुनियाभर में 350 से ज्यादा अरोवाना फार्म्स हैं. इनमें से कई CITES में रजिस्टर्ड नहीं है. हर साल एशियन अरोवाना 1482 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. इसके शरीर पर दिखने वाली गोल्डेन, रेड और ब्लैक शेल्स होती हैं. जो इसकी कीमत को और बढ़ा देती हैं. यह चीन के ड्रैगन से मिलती जुलती है, इसलिए इसे दक्षिण-पूर्व एशिया में पवित्र माना जाता है.
फेंगशुई के हिसाब से पानी, लाल और गोल्डेन रंग घर में शांति आती है. पानी में ची (chi) शक्ति होती है. जबकि लाल-गोल्डन रंग यिन (yin) यानी ऊर्जा का प्रतीक है. यानी घर में अरोवाना रखने से शक्ति और ऊर्जा का सही संतुलन बना रहता है.