कितना कारगर है कैल्शियम सप्लिमेंट?
अधिक उम्र के लोगों को आमतौर पर हड्डियों के कमजोर होने या टूटने से बचाने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है। मगर एक अध्ययन में दावा किया गया है कि ये सप्लीमेंट बुजुर्गों को हड्डियों के टूटने से बचाव में कारगर नहीं हो सकते हैं। इस अध्ययन के लिए 2006 से प्रकाशित सभी अध्ययनों का विश्लेषण किया गया था। कई वर्षों के मेडिकल लिटरेचर का बारीकी से अध्ययन करने के बाद अध्ययनकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हड्डियों के फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी की दवाओं का कोई असर नहीं होता है।
कैल्शियम सप्लीमेंट्स के सेवन से जुड़ा यह निष्कर्ष चीन में 50 साल से अधिक उम्र वाले 51,145 लोगों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इस उम्र के लोगों में हड्डियों के फ्रैक्चर होने की समस्या आम रहती है। अध्ययनकर्ताओं ने माना कि इस बात की संभावना है कि जो लोग नर्सिंग होम्स या अन्य अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं, उन्हें कैल्शियम और विटामिन डी की दवाइयां उपयोगी हों।
प्रेग्नेंसी में एंटी-एजिंग क्रीम नहीं!
प्रेग्नेंट महिलाओं को कोई भी चीज सोच-समझकर इस्तेमाल करनी चाहिए। विशेषकर कॉस्मेटिक्स के इस्तेमाल में उन्हें खास सावधानी बरतनी होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस दौरान महिलाओं को एंटी-एजिंग क्रीम, एक्ने क्रीम, हेयर रिमूवल क्रीम के साथ तेज परफ्यूम इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। इनमें कुछ ऐसे केमिकल होते हैं, जो आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही आपके होने वाले बच्चे पर भी इसका नकारात्मक असर हो सकता है। वहीं केमिकल युक्त परफ्यूम की तेज खुशबू से गर्भ में पल रहे बच्चे पर खराब असर पड़ता है।
बच्चों को कभी-कभी मछली खानी चाहिए
यदि आप बच्चों के मानसिक कौशल और बुद्धिमत्ता यानी आईक्यू को बढ़ाना चाहती हैं, तो सप्ताह में उसे एक बार मछली जरूर खिलाएं। ऐसा हम नहीं, बल्कि एक रिसर्च का दावा है। शोध के मुताबिक, मछली नहीं खाने या कभी-कभी मछली खाने वाले बच्चों की तुलना में सप्ताह में एक बार मछली खाने वाले बच्चे अच्छी नींद लेते हैं और उनका आईक्यू औसत की तुलना में चार अंक ज्यादा होता है।
इससे पहले के अध्ययनों में भी यह बात पता चली है कि मछलियों में ओमेगा 3 एस और फैटी एसिड पाया जाता है और माना गया था कि इससे बुद्धि अच्छी रहती है और नींद भी अच्छी आती है। लेकिन इस पर कभी प्रयोग नहीं हुआ था। इस अध्ययन के लिए चीन में 9 से 11 वर्ष के 541 बच्चों पर अध्ययन किया गया था। इनमें 54 बच्चों को शामिल किया गया था।
अध्ययन के लिए जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के दौरान यह पाया गया कि जिन बच्चों ने हफ्ते में एक बार मछली खाई थी, उनका आईक्यू जिन्होंने मछली नहीं खाई थी, के मुकाबले 4.8 प्वाइंट ज्यादा था। वहीं जिन्होंने कभी-कभी मछली खाई थी, उनका आईक्यू 3.3 प्वाइंट ज्यादा था।