आदमखोर तेंदुए के डर का खात्मा, 2 तेंदुए आए पिंजरे में
राजस्थान के उदयपुर से 45 किमी दूर गोगुंदा के छाली ग्राम पंचायत क्षेत्र में पिछले दिनों से चल रहे आदमखोर हो चुके तेंदुए के आतंक से मंगलवार सुबह राहत मिली। यहां तेंदुए को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरों में 2 तेंदुए पकड़ में आ गए। इसमें एक तेंदुआ बूढ़ा बताया जा रहा है। दरअसल, गोगुंदा की छाली ग्राम पंचायत के तीन गांवों में तेंदुए ने पिछले दिनों करीब 5 किलोमीटर के दायरे में 3 लोगों को मार डाला था। इससे पूरे इलाके में दहशत थी। तेंदुए को पकड़ने के लिए आर्मी बुलाई गई थी। वन विभाग और आर्मी की टीम लगातार उसकी तलाश में जुटी थी। गोगुंदा एसडीएम नरेश सोनी के अनुसार पंचायत के उमरिया गांव में सोमवार देर रात वन विभाग के लगाए गए पिंजरों में 2 तेंदुए कैद हो चुके हैं। पिंजरों में मांस और मछली की गंध वाला पानी रखा गया था।
मुख्य वन संरक्षक सुनील छिद्री ने बताया कि सोमवार रात 2 अलग-अलग पिंजरों में 2 लेपर्ड कैद हुए हैं। इनमें एक बूढ़ा है, जिसके कैनाइन दांत (लंबे-नुकीले दांत) नहीं हैं। सामान्यतया तेंदुए में 4 कैनाइन दांत होते हैं। इनमें 2 ऊपर और 2 नीचे होते हैं। इसी से लेपर्ड अपना प्राकृतिक शिकार करते हैं। बूढ़े तेंदुए के दांत नहीं होने से वह अपना प्राकृतिक शिकार नहीं कर पा रहा था। इसके लिए इंसानों पर अटैक करना आसान था। इसलिए संभावना है कि जो 3 लोग मारे गए हैं, वे इसी बूढ़े तेंदुए ने मारे हैं। हालांकि इसे लेकर टीम कई पहलुओं पर जांच कर रही है, दोनों लेपर्ड को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया गया है। बताया जा रहा है कि पिंजरे में आने के बाद दोनों तेंदुए छटपटा रहे थे। उसी दौरान उनके मुंह पर मामूली चोट लग गई। थोड़ा खून भी बहा। सज्जनगढ़ में पशु चिकित्सक इनका इलाज करेंगे। स्वस्थ होने के बाद वन विभाग इन दोनों तेंदुए को रखने को लेकर कोई निर्णय लेगा।
उमरिया गांव में 20 सितम्बर को तेंदुए ने 50 वर्षीय महिला हमेरी भील को मार डाला था। वन विभाग ने घटना के बाद यहां से पगमार्क लिए थे। यहां उसी दिन अलग-अलग जगह 3 पिंजरे लगाए गए थे। रेस्क्यू टीम को निगरानी के दौरान यहां लगातार 2 दिन तक तेंदुए की हलचल दिखाई दी थी। 22 सितंबर को भी तेंदुआ पिंजरे के आसपास नजर आया, लेकिन पिंजरे में नहीं घुसा। ऐसे में वन विभाग को उम्मीद थी कि यहां तेंदुए का ज्यादा मूवमेंट है तो वह पिंजरे में जरूर कैद होगा। फिर 3 पिंजरे और लगाए गए। इसके बाद 23 सितंबर देर रात 2 तेंदुए अलग-अलग पिंजरों में कैद हो गए। गोगुंदा में 5 दिन से 7 टीमों में 60 से ज्यादा कार्मिक तेंदुए की तलाश में जुटे थे। इनमें वन विभाग की सिरोही, राजसमंद, जोधपुर, उदयपुर और स्थानीय गोगुंदा की रेस्क्यू टीम शामिल रही। इसके अलावा आर्मी की टीम और उदयपुर से वाइल्ड लाइफ की एक अलग टीम सर्च ऑपरेशन में लगी रही। राजसमंद से 1 और जोधपुर से 2 शूटर्स को ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए फील्ड में तैनात किया। छाली ग्राम पंचायत को कंट्रोल रूम तब्दील कर दिया। डीएफओ अजय चित्तौड़ा, गोगुंदा एसडीएम नरेश सोनी, सायरा तहसीलदार कैलाश इडानिया बैठकर पूरी मॉनिटरिंग करते रहे। जंगल में तेंदुए की लोकेशन मिलने पर कंट्रोल रूम में संदेश आता और तुरंत रेस्क्यू टीम को उस लोकेशन पर भेजा जाता। ग्रामीणों ने भी वन विभाग की रेस्क्यू टीम का सहयोग किया। तेंदुए को जंगल में ढूंढने के लिए वन विभाग ने कई तरह के संसाधनों का सहारा लिया। 2 ड्रोन कैमरे से जंगल में तेंदुए को ट्रैक करने की कोशिश होती रही। 23 ट्रैप कैमरों से निगरानी की जा रही थी। रात में नाइट विजन दूरबीन से तलाशा गया।