PM मोदी : सफल रही 57 देशों की 92 यात्राएं

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेता अपनी चुनावी रैलियों में अक्सर यह दावा करते हैं कि उनकी कुशल कूटनीति की वजह से भारत का पूरी दुनिया में कद उंचा हो गया है और इसके साथ ही भारत ढेर सारा निवेश लाने में भी सफल रहा है. 

मई 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने 57 देशों की कुल 92 यात्राएं कीं. अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह के मुकाबले दोगुना विदेशी दौरे करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या उपलब्धियां हासिल कीं और कहां चूके? चलिए ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट पर डालते हैं एक नजर.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व पटल पर भारत की पहचान मजबूत करने के लिए तारीफ भी पाते हैं लेकिन विदेशी दौरे पर हुए भारी-भरकम खर्च और देश में किसानों की स्थिति को लेकर आलोचना भी झेलनी पड़ती है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर पीएम मोदी पर घर की समस्याओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हैं. 

भारत को औद्योगिक निवेश और रक्षा तकनीक उपलब्ध कराने वाले कई देशों के नेताओं से पीएम मोदी ने कई बार मुलाकात की, जैसे- जापान के शिंजो आबे और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मोदी की मुलाकात एक से ज्यादा बार हुई.पीएम मोदी ने पांच बार चीन का दौरा किया जिसमें वुहान की अनौपचारिक मुलाकात भी शामिल है.

रिकॉर्ड FDI-
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी के पहले कार्यकाल में भारत में 193 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया जो पिछले 5 वर्षों में आए निवेश से 50 फीसदी ज्यादा था. हालांकि, उत्पादन के क्षेत्र में ज्यादा रोजगार पैदा करने की लगातार कोशिशों के बावजूद भी ज्यादातर विदेशी निवेश सेवा और पूंजी आधारित उद्योग में आया. आर्थिक और रणनीतिक दुश्मन चीन से निवेश के वादे कराने में मोदी कामयाब रहे हालांकि ज्यादातर वादे जमीन पर नहीं उतर सके हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक, मार्च 2018 तक चीन से कुल 1.5 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया जबकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2014 के बाद से 20 अरब डॉलर निवेश का वादा किया था.

ऊर्जा सुरक्षा-
मोदी सरकार में ऊर्जा सुरक्षा की बात करें तो भारत ने पहली बार यूएस से कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस खरीदने की शुरुआत की. पिछले पांच वर्षों में पीएम मोदी ने रूस से लेकर मध्य-पूर्व तक, हर जगह से तेल पूंजी से जुड़े समझौते कराने में कामयाब रहे. यहां तक कि दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी सऊदी अरामको ने भी भारत की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी में निवेश करने पर हामी भरी.

वहीं, यूएई ने रणनीतिक तेल भंडार भरने के लिए तैयार हो गया जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव कम हुआ. इसके अलावा, मोदी ने ईरान के साथ दोस्ती कायम रखते हुए भारत की तेल जरूरतों के लिहाज से अहम खाड़ी देशों के साथ संबंध स्थापित किए. हालांकि, यूएस के ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद सस्ता ईरानी कच्चा तेल खरीदना जारी ना रख पाने के लिए विपक्ष ने मोदी की कूटनीति की आलोचना की.

बड़ी परियोजनाएं-
पीएम मोदी ने कई देशों के साथ रणनीतिक परियोजनाएं शुरू करने की कोशिश की जो आखिरकार उनके लिए राजनीतिक संकट लेकर आईं.

इजरायल का पहला दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने राजधानी तेल अवीव से आधुनिक रक्षा और जल तकनीक खरीदने की कोशिश की. जापान के साथ पीएम मोदी ने अपने सबसे महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन पर काम करना शुरू किया हालांकि, भूमि अधिग्रहण में धीमी रफ्तार की वजह से आलोचना शुरू होने लगी. 2016 में मोदी ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान के लिए 8.7 अरब डॉलर की डील की. राफेल डील में नियमों के उल्लंघन के आरोप लगे जिन्हें सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राफेल डील से ही अपने निशाने पर लेते रहे हैं.

सॉफ्ट पावर-
पीएम मोदी ने दावोस में विश्व आर्थिक फोरम और सिंगापुर में शांगरी-ला सुरक्षा वार्ता को संबोधित किया. डोकलाम के बाद भारत-चीन के बीच पैदा हुए भू-राजनीतिक तनाव के बाद मोदी ने वुहान में अनौपचारिक समिट में हिस्सा लिया था. पीएम मोदी और यूएस राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2017 में पहली मुलाकात में मुक्त व्यापार पर हामी भरी लेकिन इसके बाद ट्रेड वार शुरू हो गया.
2015 में पीएम मोदी की पाकिस्तान की अचानक की गई यात्रा से लेकर कई और विदेशी दौरों का कोई खास नतीजा नहीं निकला. पीएम मोदी ने आक्रामक कूटनीति के बावजूद, कई विश्लेषक ऐसा मानते हैं कि वह संसाधनों को भारत खींच लाने या दुनिया में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए जरूरी कूटनीतिक सुधारों को लागू करने में कामयाब नहीं हो पाए.

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