एक बार फिर कोलकाता मेट्रो में प्रेमी जोड़े से दुर्व्यवहार

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मेट्रो के अंदर एक प्रेमी जोड़े के साथ मारपीट की वारदात को फिर से दोहराया गया. इस बार प्रेमी जोड़े के साथ मारपीट तो नहीं हुई, लेकिन साथ में बैठे यात्रियों ने प्रेमी जोड़े के साथ दुर्व्यवहार किया लड़की के लिए अभद्र बातें कहीं. जानकारी के मुताबिक, सहयात्रियों ने महज लड़की के जींस पहनने को लेकर युवा प्रेमी जोड़े को निशाना बनाया. पीड़िता ने फेसबुक पर घटना से जुड़ी कुछ तस्वीरें और वीडियो शेयर किए हैं और पूरी आपबीती लिखी है. लड़की ने GRP से इसकी शिकायत भी दर्ज करवा दी है.

जानकारी के मुताबिक, ताजा घटना कोलकाता के सियालदाह स्टेशन से बराकपुर स्टेशन के बीच चलने वाली लोकल ट्रेन की है. घटना शनिवार को घटी और लड़की ने उसी दिन फेसबुक पर पूरी व्यथा कह सुनाई. प्रेमी जोड़ा शनिवार की रात करीब 9 बजे सियालदाह स्टेशन से ट्रेन में सवार हुआ. उन्हें कृष्णानगर तक जाना था.

ट्रेन में प्रेमी जोड़े ने एक युवक से सीट के लिए थोड़ा सरकने का आग्रह किया, ताकि दोनों एकसाथ बैठ सकें. लेकिन युवक ने पंखे की जद से दूर जाने का हवाला देते हुए सीट पर जगह देने से मना कर दिया. इसके बाद दोनों किसी तरह तंग सी जगह में एकदूसरे से सटकर बैठ गए.

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शुरू में तो प्रेमी जोड़े और युवक के बीच मामूली कहासुनी हुई, लेकिन स्थिति शांतिपूर्ण ही रही. लेकिन ट्रेन जब आगे बढ़ी और बोगी में कुछ और सवारियां चढ़ीं, तो बाद में सवार हुए एक युवक ने प्रेमी जोड़े को लेकर फब्तियां कसनी शुरू कर दीं.

युवक ने प्रेमी जोड़े को भला-बुरा कहा और लड़की के जींस पहनने को लेकर आपत्ति व्यक्त की. महिला ने भी युवक को भरपूर जवाब दिया और पूरी घटना को अपने मोबाइल में कैद कर लिया. महिला ने अपने फेसबुक पोस्ट में बांग्ला भाषा में पूरी घटना को बयां किया है, जिसे हम यहां हिंदी में दे रहे हैं-:

“हमेशा की तरह मैं सियालदाह से ट्रेन में सवार हुई. मैंने दूसरी सवारियों से सीट पर जगह देने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने बहुत बुरे तरीके से सीट पर जगह देने से मना कर दिया. एक ने कहा कि वह पंखे के नीचे वाली जगह से नहीं हटेगा. किसी तरह हम सीट पर बची थोड़ी सी जगह पर सटकर बैठ गए. लेकिन दूसरी सवारियां हम पर चिल्लाने लगीं कि यह महिलाओं की बोगी नहीं है और मुझे महिलाओं की बोगी में जाने के लिए कहने लगीं. लेकिन अनपढ़ों को शायद पता नहीं है कि वह एक साधारण डिब्बा था, जो सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं होता. आखिरकार हमें सीट छोड़कर उठना पड़ा. हम दूसरी सीट पर जाकर बैठ गए. लेकिन जिस व्यक्ति ने हमें पंखे के चलते सीट पर जगह देने से मना कर दिया था, वह अब हमारे पास आकर बैठ गया. इस पर मैंने उससे पूछ लिया ‘काकू, अब कैसे आप अपनी सीट छोड़कर आ गए? अब आपको गर्मी नहीं लग रही?’

इस पर उसने कहा कि घर जाओ और एकदूसरे की गोद में बैठो.

एक अन्य सवारी ने कहा- आप जैसे लोगों के चलते ही कोलकाता मेट्रो वाली घटना हुई थी.

तीसरी सवारी कहती है- इस तरह के कपड़ों में ट्रेन में मत चढ़ा करो.

मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं, क्या यह हमारा ही देश है? जहां महिलाओं को ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं? यह हमारा नया समाज है, जहां ट्रेनों और बसों में यह आए दिन का हाल हो गया है? मैं बस इतना पूछना चाहती हूं कि क्या हम अपने बड़ों से इस तरह के व्यवहार की अपेक्षा की जा सकती है?”

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