रायपुर में खुला मोबाइल की लत से होने वाली बीमारियों के इलाज का क्लीनिक

मोबाइल जरूरत भी है तो अत्याधिक प्रयोग से परेशानी का कारण भी बनता जा रहा है। वजह हजार हैं। इससे जहां वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ रहा है वहीं स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। अब मोबाइल की लत से होने वाली बीमारियों के रोगी बढ़ने लगे हैं। ऐसे में इलाज के लिए स्पेशल क्लीनिक भी खुलने लगी है। दिल्ली के बाद देश की दूसरी ऐसी क्लीनिक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में खोली गई है। जिसमें मरीजों का मुफ्त इलाज हो रहा है।

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय परिसर में खुली मोबाइल क्लीनिक में उपचारकरने वाले न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. गीतेश अमरोहित ने बताया कि जब इंसान मोबाइल के पास होता है या मोबाइल का उपयोग कर रहा होता है उस समय उसका मस्तिष्क मोबाइल की तरंगों के संपर्क में होता है। ये तरंगें व्यक्ति की तेज और जागरूक रहने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। क्लीनिक में मोबाइल व इंटरनेट की गिरफ्त में आवश्यकता से अधिक आने वाले लोगों का इलाज किया जा रहा है।

इन बीमारियों के मरीज आ रहे

चक्कर आना, बार-बार बीमार पड़ना, सुबह उठने का मन नहीं होना, दोपहर में अधिक सोने का मन करना, रक्तचाप में वृद्धि, आंखों की बीमारियां, चिड़चिड़ापन, मांसपेशियों खिंचाव या कमजोरी, जोड़ों में दर्द, पेशाब के रास्ते में गड़बड़ी आदि बीमारियां से ग्रसित मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। इन बीमारियों का सीधा संबंध मोबाइल के अत्याधिक इस्तेमाल को पाया गया है।

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ये कहते हैं अध्ययन

– यूके के राष्ट्रीय रेडियोलॉजिकल प्रोटेक्शन बोर्ड के अनुसार मोबाइल फोन के उपयोगकर्ता माइक्रोवेव ऊर्जा की एक महत्वपूर्ण दर को अवशोषित करते हैं। इससे आंखों, मस्तिष्क, नाक, जीभ और मांसपेशियों को हानि पहुंचती है। इसी तरह स्वीडन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन वर्किंग लाइफ ने अपने अध्ययन में संभावना जताई है कि मोबाइल फोन के मात्र दो मिनट के इस्तेमाल से थकान, सिर दर्द, घबराहट हो सकती है।

उपचार के तरीके

क्लीनिक में लक्षण के अनुसार बीमारियों का उपचार इलेट्रोथेरेपी, एक्सरसाइज थेरेपी, फि जियोथेरेपी, योग, ध्यान, साइको थेरेपी, काउंसिलिंग, इनडोर एंडआउटडोरखेल, आपस में बातचीत, व्यक्तिगत और सामूहिक सत्रों के माध्यम से किया जा रहा है।

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