मिशन 2019: नीतीश कुमार को परास्त करने के लिए कुछ भी सकते हैं अरुण कुमार 

आगामी लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग के कयासों के बीच अक्सर यह सवाल पूछा जा रहा है कि राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के दूसरे गुट के सांसद डॉ. अरुण कुमार किसके साथ जाएंगे? क्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से उनका पूरी तरह मोहभंग हो चुका है या वे उपेंद्र कुशवाहा के राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं?मिशन 2019: नीतीश कुमार को परास्त करने के लिए कुछ भी सकते हैं अरुण कुमार 

पार्टी की मजबूती प्राथमिकता

बातचीत में अरुण कुमार बताते हैं कि इस समय उनकी प्राथमिकता नई पार्टी को मजबूत करने की है। इसके लिए राज्य के विभिन्न हिस्से का दौरा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में किसके साथ गठबंधन होगा, यह तय नहीं है। सिर्फ इतना तय है कि हम उस गठबंधन के साथ नहीं जाएंगे, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से संबद्ध  होगा। कारण यह कि नीतीश कुमार को सत्ता से हटाना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है। इस बात की चिन्ता नहीं है कि इससे हमारा क्या बनेगा-बिगड़ेगा।

नीतीश के खिलाफ किसी से कर सकते समझौता

कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे अरुण ने उनके बारे में इतनी तल्ख टिप्पणी की थी कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद तक नाराज हो गए थे। आज की तारीख में अरुण की नजर में लालू प्रसाद तुलनात्मक रूप में नीतीश कुमार से बेहतर है। वे संकेत दे देते हैं कि नीतीश कुमार को परास्त करने के लिए किसी से समझौता कर सकते हैं। क्या राजद से भी? वे इस संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं करते हैं।

पीएम मोदी कर रहे बेहतर काम

राजग के बारे में उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी बेहतर काम कर रहे हैं। हम उनके प्रशंसक हैं, लेकिन प्रदेश राजग के कुछ नेताओं के चलते मोदी की साख प्रभावित हो रही है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का नाम उन्होंने इसी श्रेणी के नेता के तौर पर लिया। कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी से उनके रिश्ते आज भी ठीक हैं।

राजग से अगर जदयू अलग हो जाए तो फिर से उसमें शामिल होने में उन्हें परेशानी नहीं है। जदयू, कांग्रेस और लोजपा के नए गठबंधन की चर्चा के बारे में उनकी राय थी- यह हुआ तो हम फिर से नरेंद्र मोदी के साथ जाना पसंद करेंगे।

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