आइये जाने पुरुषोत्तम माह ,अधिक माह या मलमास क्या है?

।।अधिक मास चिन्तन ।।

यस्मिन चान्द्रे न संक्रान्ति:
सो$धिमासो निगद्यते।तत्र मंगल कार्याणि नैव कुर्यात कदाचन।।आइये जाने पुरुषोत्तम माह ,अधिक माह या मलमास क्या है?भारतीय ज्योतिषीय काल गणनानुसार ३०दिन (अहोरात्र) का एक मास होता है इसको हम चार भाग करके समझने का प्रयास करते है १-अमावस्या से अमावस्या तक ३०तिथियो का चान्द्रमास २-संक्रान्ति से संक्रान्ति तक सौरमास ३-नक्षत्र दिन से ३० दिन का नाक्षत्र मास ४-“३० दिन का सावन मास होता है मेष वृष आदि वारह राशियो मे सूर्य के रहने से ही संक्रान्ति कहलाती है एक राशि से दूसरे राशि मे सूर्य के प्रवेश करने पर जो पूर्णिमा तिथि को नक्षत्र पडता है उसी के नाम से वह मास जाना जाता है जैसे चित्रा नक्षत्र की पूर्णिमा पर चैत्र विशाषा की पूर्णिमा पर वैशाष इसी तरह ज्येष्ठा पू0षा0 श्रवण पू0भा0 अश्वनी कृतिका मृगशिरा पुष्य मघा पू0फा0 आदि नक्षत्रो की पूर्णिमा पर १२महीनो का नाम होता है जिस चान्द्रमास मे अर्थात जिस माह मे सूर्य की संक्रान्ति नही पडती वही अधिक मास कहलाता है यह वहुत अच्छा नही होता है संक्रान्ति विहीन मास धार्मिक कार्य के लिए वर्जित है राष्टृ हित मे भी शुभ नही है इसी लिए हमारे पथप्रदर्शक पूर्वजो ने इस अशुभ मास को पुरुषोत्तममास की संज्ञा देकर विशेष पूजा पाठ के माध्यम से समाज कल्याणार्थ महिमा मंडित किया है विशेषतः शिवोपासना पर वल देकर क्योकि भगवान शिव ही विश्व कल्याण करने मे समर्थ है इस पुरुषोत्तम मास मे पार्थिव पूजन रुद्राभिषेक नित्य शिवार्चन करके अशुभ को शुभ मे वदलने का प्रयास किया जाता है ।कोई नवीन कार्य सर्वथा वर्जित है इस मास मे भगवत स्मरण पूजा पाठ ज्ञानोपदेश ही श्रवण करना चाहिए ।

।।विशेष जानकारी ।।

३०दिन मे दो पक्ष कृष्ण शुक्ल मिलकर एक मास होता है पूर्णिमा को १५तथा अमावस्या को ३० वी तिथि होती है कभी कभी तिथियो मे क्षय या वृद्धि हो जाती हो जाती है घट वढ जाती है यही सौरवर्ष और चान्द्रवर्ष के
मध्य ११दिन के अन्तर का कारण होता है जिसके फलस्वरुप चान्द्रवर्ष मे प्रत्येक ३वर्ष पर अधिक मास आता है दैवज्ञ ज्ञानियो के अनुसार

द्वात्रिशता गतैर्मासैर्दिनै:षोडषभिस्तथा।घटिकाना’ चतुष्केण यत्येको$धिमासकः
अर्थात सौरमान से ३२मास१६दिन ४घटी पर एक एक अधिक मास होता है इस वर्ष यह अधिक मास १५म ई शायंकाल ५वजकर ३०मि0 से लग रहाहैअर्थात १६म ई से १३जून २०१८रात्रि मे १वजकर३५मि0 तक रहेगा इस अवधि मे समस्त सनातनधर्मावलम्वीजन को भगवान शिव के पावन पादारविन्द का आश्रय लेकर स्व कल्याणार्थ समाज कल्याणार्थ धर्मानुष्ठान करके यश के भागी वनै यही प्रार्थना आशुतोष गंगाधर जगवन्दन भगवान के श्री चरणो मे है ।आप सबों का ही स्नेहभाजन ।।आचार्य रघुनाथदास त्रिपाठी श्री अयोध्याम।।

प्रेषक :-
आचार्य स्वमी विवेकानन्द
श्री अयोध्या धाम
संपर्क-9044741252

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