महाराष्ट्र की जेल में बना आंतरिक रेडियो स्टेशन, कैदी ही संभाल रहे हैं इसकी बागडोर

अहमदनगर। जेल का नाम सुनते ही हर किसी के पसीने छूट जाते हैं और मस्तिष्क में घूमने लगती है कैदियों की जिंदगी। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश में कुछ जेल ऐसी भी हैं जहां पर विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण देकर कैदियों के व्यवहार को बदला जाता है जिससे वह अपने अंदर की तमाम बुराईयों को छोड़कर एक अच्‍छे नागरिक बन सके, कुछ ऐसा ही हो रहा है महाराष्ट्र की अहमदनगर जेल में। जी हां, इस जेल प्रशासन ने कैदियों में सुधार और बदलाव के लिए एक आंतरिक रेडियो स्टेशन लॉन्च किया है। इस रेडियो स्टेशन को कैदियों द्वारा ही चलाया जाएगा। 

 जेल अधीक्षक एन.जे. सावंत के अनुसार, यह रेडियो स्टेशन कैदियों के लिए है और इसे वही चलाएंगे। इस रेडियो स्टेशन पर स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी, फरमाइशी गीतों का कार्यक्रम, साथ ही भजनों को भी प्रसारित किया जाएगा। इसके लिए हर बैरक में स्पीकर इन्स्टॉल किए गए हैं जिससे जेल में मौजूद हर कैदी इसका आनंद ले सके। सीनियर जेलर शामकांत शेडगे ने कहा, यह योजना कैदियों के मन से नकारात्मकता निकालने और उनमें सकारात्मक विचारों को भरने के लिए चलाई गई है।

गौरतलब है कि अक्सर कैदियों के हुनर को लेकर तिहाड़ जेल की खबरें आती रहती हैं आपको जानकर हैरानी होगी कि तिहाड़ जेल के कैदी नमकीन, बिस्कुट के अलावा फर्नीचर व आकर्षक कपड़े तैयार करने में भी हुनरमंद हैं। यह उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि पिछले वर्षो में जेल फैक्टरी का टर्नओवर 32.17 करोड़ रहा है। लोग जेल में कैदियों द्वारा तैयार नमकीन, बिस्कुट व ब्रेड खूब पसंद करते हैं।

मौजूदा समय में तिहाड़ के 33 आउटलेट हैं। आउटलेट की संख्या 50 तक की जाएगी। तिहाड़ में कोको लॉन विकसित किया गया है। इस कोको लॉन को तिहाड़ आउटलेट के जरिए आम लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। जेल फैक्टरी के विकास से अधिक से अधिक कैदियों को काम मिल रहा है। साथ ही कैदी कपड़ा सिलाई, नमकीन, बेकरी उत्पाद, फर्नीचर आदि बनाने के गुर भी सीखते हैं। जो कैदियों के पुनर्वास के लिए जरूरी है।

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