भारत ने चीन को पछाड़ा, आर्थिक विकास दर 7.2 फीसदी पहुंची

चीन को पछाड़ कर भारत एक बार फिर दुनिया भर में सबसे तेजी से विकास करने वाला देश बन गया है. इसकी बानगी 31 दिसंबर को खत्म हुए वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान विकास दर के आंकड़ों में देखने को मिली. सांख्यिकी विभाग के मुताबिक इस दौरान विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि चीन की विकास दर 6.8 फीसदी रही.

पूरे कारोबारी साल में ये सबसे अच्छी तिमाही है. पहली तिमाही में विकास दर 5.7 फीसदी तक लुढक गयी थी जबकि दूसरी तिमाही में ये दर 6.5 फीसदी थी. पहली तिमाही में तेज गिरावट की वजह से पूरे साल के आर्थिक विकास दर पर असर पड़ा. 2017-18 के दौरान ये दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है. नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में ये सबसे कम विकास दर होगी. ध्यान रहे कि 2014-15 के दारन विकास दर 7.4 फीसदी, 2015-16 में 8.2 फीसदी और 2016-17 में 7.1 फीसदी थी.

विकास दर के आंकड़ों में सुधार लाने में मैन्युफैक्चरिंग की अहम भूमिका रही जिसकी विकास दर 8.1 फीसदी दर्ज की गयी. हालांकि पिछले साल की समान अवधि में भी यही दर थी, लेकिन चालू कारोबारी साल की बात करें तो पहली तिमाही मे ये दर निगेटिव हो चली थी जबकि दूसरी तिमाही में 6.9 फीसदी थी. मैन्युफैक्चरिंग के रफ्तार पकड़ने का मतलब ये हुआ कि वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी का उत्पादन पर नकारात्मक असर खत्म होता दिख रहा है. ये अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है. साथ ही मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार बढ़ने का एक मतलब ये भी हुआ कि रोजगार के ज्यादा मौके बनेंगे.

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खेती-बाड़ी के मोर्चे पर विकास दर 4.1 फीसदी रही जबकि चालू कारोबारी साल की पहली दो तिमाहियों मे ये 2.7-2.7 फीसदी रही थी. हालांकि बीते साल की तीसरी तिमाही की बात करें तो खेती-बाड़ी की विकास दर 7.5 फीसदी थी, यानी इस तिमाही में गिरावट हुई है. इसकी एक बड़ी वजह मानसून का असामान्य वितरण रहा है. एक परेशानी ये भी है कि जाड़े की बरसात भी सामान्य से कम है. इसकी वजह से रबी की फसलों पर असर की आशंका है.

बहरहाल, सरकारी अधिकारियों की मानें तो आर्थिक विकास की पूरी दर में लगातार हो रही बढ़ोतरी का एक मतलब ये भी है कि अर्थव्यवस्था नोटबंदी और जीएसटी के असर से काफी हद तक उबर चुका है. अधिकारी तो यहां तक कहते हैं कि अब जीएसटी का फायदा देखने को मिलेगा जिसकी वजह से पहली अप्रैल से शुरु होने वाले अगले कारोबारी साल के दौरान विकास दर साढ़े सात फीसदी तक पहुंच सकती है.

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