इस मुहूर्त में घर के मंदिर में जलाएं दीपक, पैसों की तंगी होगी कोसो दूर

गुरुवार दिनांक 22.02.18 फाल्गुन शुक्ल सप्तमी पर प्रदोष काल में कृतिका नक्षत्र आने से फाल्गुनी कार्तिगई दीपम पर्व मनाया जाएगा। हर महीने मनाया जाने वाला कार्तिगई दीपम दक्षणी संस्कृति का सबसे प्राचीन पर्व माना जाता है। कार्तिगई दीपम पर्व की उत्पत्ति का मूल सूर्य का नक्षत्र कृतिका है। 

इस मुहूर्त में घर के मंदिर में जलाएं दीपक, पैसों की तंगी होगी कोसो दूर

 

ज्योतिषशास्त्र में अग्निदेव को कृतिका नक्षत्र के प्रतीक चिन्ह के रुप में चित्रित किया गया है। अतः यह नक्षत्र अपने स्वभाव में अग्नि और गुस्से को दर्शाता है। हर माह में जब भी चंद्रमा कृतिका नक्षत्र में विचरण करते हैं तब मासिक कार्तिगई दीपम पर्व मनाया जाता है। 

पौराणिक मान्यतानुसार परमेश्वर शिव ने भगवान विष्णु व ब्रह्मदेव को अपनी सर्वोच्चता सिद्ध करने हेतु प्रकाश की एक अंतहीन अग्नि को लौ में खुद को परिवर्तित कर लिया था। इस पर्व में प्रदोष काल में तेल के दीपों की पंक्तियों को घर व शिवालय में सजाकर दीपोत्सव मनाया जाता है। गुरुवारीय कार्तिगई दीपम पर्व के विशेष पूजन से दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है, आर्थिक नुकसान से मुक्ति मिलती है व दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।

 

विशेष पूजन: 

संध्या के समय शिवालय जाकर शिवलिंग का विधिवत पूजन करें, सरसों  के तेल का दीप करें, चंदन से धूप करें, पीपल के पत्ते चढ़ाएं, पीत चंदन चढ़ाएं, बेसन से बने मिष्ठान का भोग लगाएं तथा रुद्राक्ष माला से इस विशिष्ट मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद भोग गाय को खिला दें। 

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पूजन मंत्र:
ॐ अघघ्नाय नमः शिवाय॥

पूजन मुहूर्त:
शाम 18:16 से शाम 19:16 तक। 

उपाय: 

  • दुर्भाग्य से मुक्ति हेतु 13 पीपल के पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • आर्थिक नुकसान से मुक्ति हेतु पीले कपड़े में बंधे 12 जायफल शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • दुर्घटनाओं से सुरक्षा हेतु पीतल के पात्र में दूध-शहद से शिवलिंग पर अभिषेक करें।

 

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