हाईकोर्ट ने पायलट गुट को 24 जुलाई तक दी मोहलत, HC ने स्पीकर को दिया ये आदेश
राजस्थान में जारी सियासी हलचल पर हाईकोर्ट ने सचिन पायलट गुट को 24 जुलाई तक की मोहलत दे दी है. हाई कोर्ट ने स्पीकर सीपी जोशी से कहा कि आप 24 जुलाई तक कोई भी कार्यवाही नहीं करेंगे. अभी हाई कोर्ट में चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि क्या 24 जुलाई को फैसला दिया जाए.
सचिन पायलट गुट की ओर से विधानसभा स्पीकर के नोटिस के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई शुरू हुई थी, अब मंगलवार तक सभी पक्षों ने अपनी दलीलें रखीं. राजस्थान हाईकोर्ट में मंगलवार दोपहर 12 बजे सुनवाई पूरी हुई, अदालत दो बजे के बाद फैसला सुनाएगी.
1. नोटिस शिकायत के दिन ही भेजा गया
2. नियमों के मुताबिक वक्त नहीं दिया गया और कम वक्त दिया गया
3. यह किसी तरह साबित नहीं होता कि स्पीकर ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया हो
4. नोटिस के वही सब लिखा गया है जो कुछ शिकायतकर्ता की शिकायत में था
5. नोटिस जारी करने के लिए किसी भी तरह की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई है
6. नोटिस में लिखा गया है कि अगर लिखित में नहीं है तो एक तरफा कार्रवाई होगी
हाईकोर्ट में जारी है सुनवाई
स्पीकर के द्वारा सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को नोटिस दिया गया, जिसके खिलाफ याचिका दायर की गई है. सोमवार को सचिन पायलट गुट की ओर से हरीश साल्वे की बहस पूरी हुई और फिर स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी बात रखी. सिंघवी ने दलील दी है कि अभी स्पीकर ने किसी विधायक को अयोग्य घोषित नहीं किया है, ऐसे में अदालत का हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है.
अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट
कानूनी लड़ाई से इतर राजस्थान में जुबानी जंग जारी है. सोमवार को अशोक गहलोत ने कहा कि उन्हें पता था कि सचिन पायलट निकम्मा है और नाकारा है, वह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे. राजस्थान के सीएम ने कहा कि पिछले लंबे वक्त से वो नोटिस कर रहे थे, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए ही सचिन पायलट को अपनी सरकार गिराने में दिलचस्पी थी.
इस बड़े हमले के बाद सचिन पायलट का एक बयान भी सामने आया, जहां उन्होंने कहा कि उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, सचिन पायलट का ये बयान अशोक गहलोत नहीं बल्कि उस विधायक को लेकर था जिसने सचिन पायलट पर 35 करोड़ रुपये का ऑफर देने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से कई बार सचिन पायलट से पार्टी में वापसी की अपील की जा चुकी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अशोक गहलोत विरोध कर रहे हैं. ऐसे में अब अदालत पर निगाहें हैं, क्योंकि अगर बहुमत साबित करने की बात आती है तो गहलोत सरकार के सामने संकट हो सकता है. क्योंकि अभी अशोक गहलोत के पास सिर्फ बहुमत जितने या एक अधिक समर्थन है, ऐसे में अंतिम वक्त पर कुछ विधायक इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में आ सकती है.