यहाँ हनुमान जी को उनकी एक ग़लती की सज़ा आज तक दे रहे हैं लोग, सच्चाई जानकार उड़ जाएँगे आपके होश

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा का बड़ा महत्व है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार कुल 33 करोड़ देवी-देवता है। लेकिन सभी देवी-देवताओं की पूजा नहीं की जाती है। इनमें से कुछ देवी-देवता ऐसे भी हैं, जिनकी पूजा सबसे ज़्यादा की जाती है। हिंदू धर्म में इंसान के कर्म को महत्वपूर्ण माना गया है। इसके अनुसार लोगों को उनके कर्मों के अनुसार उन्हें फल मिलता है। जो अच्छे कर्म करता है, उसे अच्छा फल मिलता है, वहीं जो बुरे कर्म करता है, उसे इसका बुरा ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है।

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा भगवान के पास होता है। भगवान लोगों के उनके कर्मों के हिसाब से उन्हें फल देते हैं। यह तो रही इंसानों की बात। लेकिन जब भगवान ग़लती करते हैं तो उसका लेखा-जोखा किसके पास रहता है, यह एक सोचनीय विषय है। अगर भगवान कभी कोई ग़लती करते हैं उन्हें आख़िर कौन सज़ा देता होगा? आपके इस सवाल के जवाब में हम यही कहना चाहेंगे कि जो लोग भगवान की पूजा करते हैं, वहीं लोग भगवान की ग़लती होने पर उन्हें सज़ा भी देते हैं।

जी हाँ यह भले ही सुनकर अजीब लग रहा होगा, लेकिन यही सच्चाई है। आप भी सोच रहे होंगे कि भला एक आम आदमी कैसे भगवान को सज़ा दे सकता है। भगवान तो सर्वशक्तिमान होते हैं, आख़िर उन्हें कैसे सज़ा दिया जा सकता है? अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो आपको बता दें भारत में एक ऐसी जगह है, जहाँ लोग भगवान को उनकी एक ग़लती की वजह से आजतक सज़ा दे रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें देवभूमि उत्तराखंड के एक जिले में रहने वाले लोग हनुमान जी की पूजा-अर्चना नहीं करते हैं।

जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के चमोलि जिले के द्रोणगिरी में हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है। यहाँ हनुमान जी की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसा क्यों किया जाता है? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। बात रामायण काल की है जब लक्ष्मण बाण लगने की वजह से मुर्छित हो गए थे। उनकी जान बचाने के लिए हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा गया था। उस समय हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत का एक हिस्सा उठाकर ले गए थे। उस समय वहाँ के लोग इस पर्वत की पूजा करते थे। इसी वजह से लोग हनुमान जी से नाराज़ हो गए और उनकी पूजा नहीं करते हैं।

यह भी कहा जाता है कि जिस वृद्ध महिला ने हनुमान जी को संजीवनी बूटी के बारे में बताया था, उसे समाज के लोगों ने बहिस्कृत कर दिया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें इस गाँव में पर्वत देव की पूजा की जाती है और उस दिन दिन गाँव की महिलाओं को सम्मिलित नहीं किया जाता है। साथ ही उनके हाथ से बना हुआ भोजन भी ग्रहण नहीं करते हैं। महर्षि बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में कहा गया है कि लक्ष्मण के होश में आने के बाद हनुमान जी ने पर्वत को उसी जगह पर वापस रख आए थे। लेकिन तुलसीदास की रामचरितमानस के अनुसार पर्वत लंका में ही छोड़ दिया गया था, जिसे आज एडम्स पीक के नाम से जाना जाता है।

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