GST: इकोनॉमी के लिए बताया गया था गेम चेंजर, चुनावी राजनीति ने किया गुड़ गोबर

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को भले देश की दूसरी आजादी का दर्जा मिला लेकिन इस आर्थिक सुधार को लागू करने के डेढ़ साल के अंदर इसका मकसद विफल होने की कगार पर है. जीएसटी की मौजूदा स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सफाई देते हुए कहा कि बड़े आर्थिक सुधारों की शुरुआत में खेद होता है लेकिन कोशिश कर इसे दूर किया जा सकता है.GST: इकोनॉमी के लिए बताया गया था गेम चेंजर, चुनावी राजनीति ने किया गुड़ गोबर

इंडिया टुडे हिंदी के संपादक अंशुमान तिवारी का कहना है कि “जीएसटी का राजस्व‍ संग्रह लक्ष्य से मीलों दूर है और खजानों का हाल खस्ता है. अगर सरकार शुरू से ही दो टैक्स दरों वाला जीएसटी लेकर चली होती तो बात दूसरी थी लेकिन अब तो जटिलताओं का अंबार गढ़ा जा चुका है.”

क्यों नहीं जुड़े छोटे कारोबारी

प्रधानमंत्री ने दावा किया कि जीएसटी छोटे कारोबारियों के लिए चुनौती इसलिए लाया क्योंकि टैक्स का यह क्रांतीकारी ढांचा पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर आधारित था. लिहाजा देश के असंगठित कारोबार के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेना इतना आसान साबित नहीं हुआ.

दरअसल केन्द्र सरकार ने जीएसटी लागू करने से पहले दावा किया था कि इस टैक्स सुधार के बाद केन्द्र सरकार को प्रति माह की दर से 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. जीएसटी लागू हुए 18 महीने बीत चुके हैं और प्रति माह जीएसटी तंत्र इस जादूई आंकड़े को छूने में चूक जा रहा है. अंशुमान तिवारी कहते हैं कि “जीएसटी अब केवल बड़े निर्माता और सेवा प्रदाता (जो पिछली प्रणाली में भी प्रमुख करदाता थे) के कर योगदान पर चल रहा है. छोटे करदाता और नए पंजीकरण वाले कारोबारी रियायतों की मदद से टैक्स चोरी के पुराने ढर्रे पर लौट आए हैं.”

18 महीने बाद भी लॉन्च नहीं हुआ जीएसटी का खास तंत्र

1 जुलाई 2017 को आधी रात से पूरे देश में चार दर (5,12,18,28 फीसदी) वाला जीएसटी लागू किया गया. लेकिन इसे लागू करने के बाद से लेकर अभी तक जीएसटी में दर्जनों बदलाव किए गए. कई बदलावों में अगर कारोबारी को रियायत देने की कवायद हुई तो कुछ बदलावों से आम आदमी पर बोझ को कम करने की कोशिश की गई. लेकिन इन कवायदों से क्या कारोबारी और आम आदमी को फायदा पहुंचा? इस सवाल पर सस्पेंस बरकरार है.

अंशुमान तिवारी का कहना है कि “जीएसटी में रियायतों के बाद उत्पादों या सेवाओं की कीमतें कम हुई भी हैं क्योंकि कंपनियां लागत बढऩे के कारण मूल्य बढ़ा रही हैं. जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी रोकने वाला तंत्र अभी शुरू नहीं हुआ जिससे पता चले कि रियायतों का फायदा किसे मिला है.”

तिवारी ने कहा कि “जीएसटी में अभी औसतन 60 फीसदी कारोबारी रिटर्न भर रहे हैं. ई वे बिल लागू होने के बाद पारदर्शिता आने की उम्मीदें भी खेत रही हैं. चुनाव के मद्देजनर टैक्स चोरी पर सख्ती मुश्किल है. लिहाजा जीएसटी की प्रणालियां व नियम अभी तक स्थिर नहीं हैं. इसमें लगातार बदलाव हो रहे हैं.

याद कीजिए 1 जुलाई 2017 की 5 उम्मीदें

1.  ग्लोबल तेजी पर दौड़ेगा भारत

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू करते वक्त दावा किया कि इस सुधार के जरिए 7 से 8 फीसदी की आर्थिक वृद्धि हासिल की जा सकेगी और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सुधार की स्थिति में देश की आर्थिक वृद्धि दर को डबल डिजिट भी किया जा सकता है. जेटली ने दावा किया था कि इससे ब्लैकमार्केट अर्थव्यवस्था हतोत्साहित होगी और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक अर्थव्यवस्था तब्दील करने में मदद मिलेगी.

2.  बढ़ेगी भारत की जीडीपी

जेटली के मुताबिक इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकार बढ़ेगा और यह अधिक साफ सुथरी होगी. जीएसटी देश का सबसे बड़ा कर सुधार है और इससे वस्तु एवं सेवाकर के क्षेत्र में अहम बदलाव देखने को मिलेंगे. खासतौर पर इसे लागू करने के बाद केन्द्र सरकार के राजस्व में बड़ा इजाफा होगा.

3.  कारोबारी और उपभोक्ता को बड़ा फायदा

केन्द्र सरकार ने दावा किया था कि जीएसटी लागू होने से कारोबारी को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उसे पूरे देश में एक समान टैक्स अदा करना पड़ेगा. वहीं मौजूदा समय में एक राज्य से दूसरे राज्य में कारोबार करने में व्यवसाइयों को कई तरह के टैक्स अदा करने पड़ते हैं. इसके साथ ही जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा उपभोक्ताओं को होगा. जिएसटी ढांचे के मुताबिक कारोबारी को टैक्स में होने वाले फायदे का बड़ा अंश उपभोक्ता को मिलना तय है.

4.  टैक्स विभाग होगा चुस्त

वित्त मंत्री ने दावा किया था कि वह आयकर विभाग समेत राजस्व में लगे विभागों को इतना मजबूत बनाने का प्रयास होगा. जेटली के मुताबिक इस विभागों के कामकाज का तरीका पूरी तरह से टेक्नोलॉजी के सहारे चलेगा जहां सेंधमारी की संभावनाएं नहीं होंगी. वहीं टेक्नोलॉजी के चलते कारोबारी और टैक्स विभागों में साठगांठ की संभावना भी खत्म हो जाएगी.

5.  जीएसटी बनेगा दुनिया का सबसे बेस्ट टैक्स सिस्टम

केन्द्र सरकार ने दावा किया था कि जीएसटी से अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में जटिल कर प्रणाली बेहद सरल और पारदर्शी हो जाएगी. इसके चलते देश की कर व्यवस्ता दुनिया की सबसे सरल व्यवस्था बनेगी. वहीं यह भी दावा किया गया कि इस आर्थिक सुधार से भारत दुनिया की सबसे तेज गति से वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में अपनी स्थिति को कायम रख सकेगा.

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