कचरे से तैयार हो रही है ये नई बिल्डिंग, CPWD इसे कर रहा है तैयार…

2015 से सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग 12.19 एकड़ में प्रगति मैदान के पास बन रही है. इसे CPWD बना रहा है. इमारत को ‘ग्रीन बिल्डिंग’ भी कहा जाता है. परिसर के बड़े हिस्से का निर्माण कचरे से हुआ है. टाइल्स, कर्ब स्टोंस और ईंटों कचरे को प्रोसेस करके बनी है .शास्त्री पार्क प्लांट के सीनियर मैनेजर संदीप मल्होत्रा बताते हैं कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम और IL&FS एन्वायरमेंट ने मिलकर इस प्रोजेक्ट को शुरू किया. प्लांट लगाने के लिए ज़मीन एमसीडी ने दी और कचरा भी वही उपलब्ध कराती है. IL&FS ने 22 करोड़ की लागत से ये प्लांट लगाया है.

फिलहाल ये दोनों प्लांट मिलकर रोजाना 5000 ईंटों का उत्पादन करते हैं, जिनका इस्तेमाल सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए ही किया जाता है. इसके लिए साल 2015 में दिल्ली की तीनों एमसीडी और एनडीएमसी ने मिलकर शहर की 168 जगहों को इस तरह के कचरे की डंपिग साइट्स के रूप में चुना. इनमें से 20 EDMC के अंतर्गत ही आते हैं और प्लांट को कचरा यहीं से उपलब्ध कराया जाता है.

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संदीप के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के नए परिसर की मुख्य बिल्डिंग का निर्माण पूरी तरह इन्हीं ईंटों से किया गया है. इसके लिए दोनों प्लांट्स ने मिलकर करीब 18 लाख ईंटों की सप्लाई की है. इसके आलावा नॉर्थ एवेन्यू में सांसदों के लिए बन रहे सरकारी आवास के लिए भी इन्हीं ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ईंटों के आलावा कचरे से टाइल्स भी बने जा रहीं हैं, जिनका इस्तेमाल फुटपाथ बनाने में किया जा रहा है. इस एक ईंट का साइज़ सामान्य लाल ईंट से लगभग पांच गुना होता है और इसकी कीमत 29 रुपये प्रति ईंट है. संदीप बताते हैं कि इस ईंट की मजबूती भी सामान्य ईंट जितनी ही है और इसकी उम्र उससे बेहतर ही मानी जाती है. साथ ही ये सीएंडडी वेस्ट को इस्तेमाल में लाकर पर्यावरण को नुकसान से बचाती है और कचरे का प्रबंधन भी करती है, बता दें कि इससे पहले तक सीएंडडी वेस्ट को भी लैंडफिल में डंप किया जाता था. संदीप के मुताबिक देश भर में सिर्फ ऐसे दो ही प्लांट हैं जो इस स्तर पर ये काम कर रहे हैं.

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