सिर्फ इस काम के लिए गांधी जी आते थे यहां, जानेंगे तो खुद को भी जाने से नहीं रोक पाएंगे आप
क्या आप जानते है कि महात्मा गांधी एक खास काम करने के लिए सिर्फ इसी जगह आते थे। जानेंगे तो जरूर आप भी अपने आप को रोक नहीं पाएंगे।

बापू उत्तराखंड के कौसानी आते थे। एक बार थकान मिटाने के लिए वह यहां एक चाय बागान के मालिक की प्रार्थना पर उसके अतिथि ग्रह में दो दिन के लिए रुक गए।
सुबह सुबह जब गांधी इस अतिथि ग्रह में योग करने बाहर आए तो उन्हें साक्षात हिमालय के दर्शन हुए और वो मंत्रमुग्ध रह गए।
वो इस जगह की खूबसूरती और यहां के वातावरण में भरे आध्यात्म से इतना प्रभावित हुए कि वो दो की बजाय पूरे 14 दिन तक यहां रहे औऱ ”अनासक्ति योग” पुस्तक को भी पूरा कर डाला।
गांधी जी इस जगह से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे भारत का स्विटजरलैंड कहा और ये भी कहा कि साक्षात हिमालय दर्शन करवाने के कारण यह जगह हमेशा पवित्र रहेगी।
इसके बाद गांधी जब तब इस जगह पर आते रहे। गांधी की विश्राम स्थली के रूप में चर्चित होने से पहले यह जगह ग्राम पंचायत का डाक बंगला था, लेकिन आजादी के बाद उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ने इस डाक बंगले को उत्तर प्रदेश महात्मा गांधी जी की स्मारक निधि को सौंप दिया।
स्मारक निधि ने इसे गांधी की विश्राम स्थली के रूप में चिह्नित करते हुए इसे गांधी अनासक्ति आश्रम का नाम दिया। आश्रम में गांधी जी के जीवन से जुड़ी यादें, चीजें, किताबों और तस्वीरों का संग्रह है। यहां छोटा सा प्रार्थनास्थल है जहां गांधी दर्शन के साथ साथ रोज सुबह शाम प्रार्थना सभा भी होती है।
यहां परिसर में ही एक ऊंचा सा स्टॉप है जिसके ऊपर खड़े होकर गांधी सुबह सुबह हिमालय दर्शन किया करते थे। यहां गांधी जी के तीन बंदरों की भी मूर्तियां हैं और आस पास बेहद शांत और सौम्य वातावरण में घिरे चाय बागान हैं।
आश्रम के बाहर पार्किंग की जगह पर एक बड़ा सा बोर्ड लगा है जिस पर गांधी के पूरे परिवार की जानकारी मौजूद है। इसमे गांधी के परदादा से लेकर गांधी के पोतो तक की संपूर्ण जानकारी है।
