रिश्वत मामले में पूर्व सिविल सर्जन को चार वर्षों की कठोर कैद

पटना: बिहार में पटना की एक विशेष अदालत ने रिश्वत के मामले में स्वास्थ्य विभाग के एक पूर्व असैनिक शल्य चिकित्सक सिविल सर्जन को बुधवार को चार वर्षों के सश्रम कारावास की सजा के साथ 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।        
क्या था मामला?
निगरानी के विशेष न्यायाधीश मोहम्मद रुस्तम ने मामले में सुनवाई के बाद रोहतास जिले के तत्कालीन सिविल सर्जन अशोक कुमार सिंह को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की अलग-अलग धाराओं में दोषी करार देने के बाद यह सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर दोषी को एक माह के कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी। मामले के विशेष प्रभारी लोक अभियोजक ट्रैप मामले) किशोर कुमार सिंह ने बताया कि मामले के परिवादी की नौकरी अनुकंपा के आधार पर हुई थी। दोषी सिविल सर्जन ने अनुकंपा पर दी गई परिवादी की नौकरी को अवैध बताते हुए परिवादी से एक लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी और नहीं देने पर नौकरी खत्म कर देने की धमकी दी थी। परिवादी रिश्वत नहीं देना चाहता था इसलिए उसने निगरानी में इसकी शिकायत की।        

निगरानी के अधिकारियों ने आरोप का सत्यापन किया और फिर 24 मार्च 2015 को ब्यूरो के अधिकारियों ने रोहतास जिले के सिविल सर्जन कार्यालय में दोषी अशोक कुमार सिंह को परिवादी से एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। अभियोजन ने आरोप साबित करने के लिए इस मामले में 10 गवाहों का बयान अदालत में कलमबंद करवाया था। 

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