उत्‍तराखंड से पलायन रोकने के लिए ईको टूरिज्म पर फोकस की सिफारिश

देहरादून: उत्तराखंड से निरंतर हो रहे पलायन को थामने के लिए यहां के प्राकृतिक संसाधनों का इस तरह से उपयोग होना चाहिए कि प्रकृति पर असर न पड़े और रोजगार के अवसर भी सृजित हों। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की ओर से राज्य के परिप्रेक्ष्य में तैयार ‘प्रकृति आधारित पर्यटन : विश्लेषण एवं सिफारिश’ संबंधी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है। इसमें भूटान और सिक्किम की तर्ज पर प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देकर इसके तहत वन्यजीव पर्यटन, रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग व होम स्टे पर खास फोकस करने की सिफारिश की गई है।

प्रदेश में गांवों से हो रहा पलायन एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। पलायन आयोग की रिपोर्ट पर ही गौर करें तो राज्य गठन से लेकर अब तक 1702 गांव पलायन के कारण निर्जन हो चुके हैं। ऐसे गांवों की भी अच्छी खासी तादाद है, जहां गिनती के ही लोग रह गए हैं। ऐसे में जरूरी है कि पलायन थामने को गांव अथवा गांव के नजदीक ही रोजगार मुहैया कराने के साथ ही मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएं।

इसके मद्देनजर पलायन आयोग ने प्राकृतिक संसाधनों के धनी इस राज्य में प्रकृति आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने के मद्देनजर रिपोर्ट तैयार की है। छह माह की अवधि में तैयार हुई इस रिपोर्ट में प्रकृति आधारित पर्यटन यानी ईको टूरिज्म की संभावनाएं और इनके क्रियान्वयन के मद्देनजर सुझाव दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में सुझाव देते हुए कहा गया है कि प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग तीन लाख लोग वन्यजीव पर्यटन के लिए आते हैं। इसमें भी 50 फीसद से अधिक कार्बेट नेशनल पार्क में आते हैं।

यही नहीं, वन्यजीव पर्यटन को आने वाले सैलानियों में देशी पर्यटक तो बढ़ रहे, मगर विदेशियों की संख्या में कमी आ रही है। सुझाव दिया गया है कि कार्बेट से इतर अन्य नेशनल पार्कों और सेंचुरियों में ईको टूरिज्म की गतिविधियां बढ़ाई जानी चाहिए। रिपोर्ट में रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग व होम स्टे को ईको टूरिज्म के दायरे में लाने पर जोर दिया गया है।

सुझाव दिया गया है कि यदि ईको टूरिज्म के तहत इन सभी गतिविधियों पर फोकस किया जाए तो यह राज्य की आर्थिकी संवारने का अहम जरिया बन सकती हैं। इससे रोजगार के अवसर सृजित होने पर लोगों को गांव में रोकने में मदद मिलेगी और आर्थिकी भी मजबूत होगी। रिपोर्ट में ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग की सलाह भी दी गई है।

नीति बनाने में मिलेगी मदद 

जैव विविधता के मामले में धनी होने के बावजूद उत्तराखंड में अभी तक ईको टूरिज्म की नीति नहीं है। हालांकि, उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट मास्टर प्लान (वर्ष 2007-2022) में इसका प्रावधान है, मगर तमाम कारणों से नीति अभी आकार नहीं ले पाई है। अब सरकार ने इसके लिए कसरत प्रारंभ की है। इस कवायद में पलायन आयोग की सिफारिशें अहम भूमिका निभा सकती हैं। 

सीएम को सौंपी जाएगी रिपोर्ट 

पलायन आयोग अपनी यह रिपोर्ट मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपेगा। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी के मुताबिक रिपोर्ट तैयार है और इसे मुख्यमंत्री को सौंपने के बाद सार्वजनिक किया जाएगा। 

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