ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे पर मुफ्त सफर की मियाद हुई खत्म, शुरू हुआ टोल

ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे से गुजरने वाले वाहनों को अब टोल देना होगा. आधी-अधूरी व्यवस्था के बीच एक्सप्रेसवे पर टोल लेने का काम शुरू हो गया है. कम्प्यूटर और नेट ना होने के कारण अभी लोगों का टोल की पर्ची डिजिटली नहीं दिया जा रही है बल्कि कर्मचारी हाथ से लिखी पर्ची दे रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 मई को 11,000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए गए ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था.

ये दिल्ली मेरठ हाइवे दिल्ली से डासना तक 14 लेन का है. जबकि डासना से मेरठ तक 6 लेन का है. इस पर 6 इंटरचेंज, 4 फ्लाई ओवर, 71 अंडरपास, 6 आरओबी और दो बड़े पुल हैं. दिल्ली मेरठ हाई वे का काम रिकॉर्ड 15 महीने में पूरा किया गया जबकि इसे पूरा करने के लिए 30 महीने का टारगेट रखा गया था.

 ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर क्या है खास

हाई वे के दोनों तरफ वर्टिकल गार्डन विकसित किया गया है साथ ही सड़क के दोनों तरफ ढाई मीटर का साईकल पथ भी बनाया गया है. सोलर सिस्टम से लैस इस हाई वे पर कुतुब मीनार, अशोक स्तंभ जैसे पुरातत्व विरासत को स्मारक चिह्न भी स्थापित किए गए हैं. 8.36 किलोमीटर लंबे(स्ट्रेच) दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को बनाने में 841.50 करोड़ रुपए की लागत आई है, जिसकी लंबाई निजामुद्दीन ब्रिज से शुरू होकर दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा तक है.

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135 किलोमीटर लंबा है ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे 

दिल्ली के ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए तैयार किया गया 6 लेन वाला 135 किलोमीटर लंबा ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे हरियाणा के कुंडली से शुरू होकर गाजियाबाद और नोएडा होते हुए पलवल से मिलता है. ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के चालू होने से कोलकाता से सीधे जालंधर,अमृतसर और जम्मू जाने-आने वालों को सुविधा हो गई है.

वाहनों की गति सीमा 120 किमी प्रतिघंटा

यह देश का पहला ऐसा एक्सप्रेस वे है जिसमें बगीचे बने हैं, सोलर सिस्टम से लैस लाइट लगाई गई हैं, एक्सप्रेस वे पर सोलर सिस्टम से 4 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी. ईस्टर्न एक्सप्रेस वे पर वाहनों की गति सीमा 120 किमी प्रतिघंटा तय की गई है. यानि कि इस स्पीड से अगर आप चले तो 135 किमी की दूरी 70 मिनट में तय की जा सकती है.

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