राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा तो बाइडेन के खिलाफ मुहिम जारी रखेंगे डोनाल्ड ट्रंप

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार को स्वीकार करें या नहीं, इस सवाल पर ह्वाइट हाउस के भीतर फूट पड़ जाने की खबर है। अमेरिकी टीवी चैनल- सीएनएन की खास खबर में बताया गया है कि ट्रंप फिलहाल हार मानने या चुनाव परिणाम के खिलाफ अपना अभियान रोकने के पक्ष में नहीं हैं। बल्कि संकेत यह है कि अगर उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा, तब भी वे अपनी ये मुहिम चलाते रहेंगे कि जो बाइडन वैध ढंग से निर्वाचित राष्ट्रपति नहीं हैं।

सीएनएन के मुताबिक ट्रंप के दामाद जैरेड कुशनर और उनकी बेटी इवांका ने राष्ट्रपति से कहा है कि वे जो कानूनी मुहिम चला रहे हैं, उसमें बहुत दम नहीं है, जिससे चुनाव नतीजों के बदलने की संभावनाएं लगातार घटती जा रही हैं।

लेकिन ट्रंप के वकील रुडी जुइलियानी और उनके दोनों बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर और एरिक ट्रंप की राय है कि राष्ट्रपति को अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए। इसमें आखिरकार राष्ट्रपति की ही जीत होगी। इस खेमे की दलील है कि ट्रंप का अपने उन लाखों समर्थकों के प्रति एक जिम्मेदारी है, जो चुनाव नतीजे को सिरे से नकार रहे हैं और सड़कों पर उतर राष्ट्रपति के लिए समर्थन जता रहे हैं।

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खबरों के मुताबिक जब राष्ट्रपति ट्रंप को ये खबर मिली कि उनके कुछ वकीलों ने अरिजोना राज्य में चुनाव को चुनौती देने वाली याचिकाएं वापस ले ली हैं, तो वे बेहद नाराज हुए। हालांकि उनके कुछ सलाहकारों ने कहा है कि कानूनी तौर पर राष्ट्रपति बने रहने की उनकी संभावना लगातार संकुचित होती जा रही है। लेकिन ट्रंप अभी अपनी इस राय को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं कि असल में चुनाव में उनकी ही जीत हुई है।

लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की असल कोशिश सचमुच चुनाव नतीजे को पलटवा देने की नहीं है। बल्कि वे अपनी कानूनी मुहिम के जरिए ये संदेश देने की कोशिश में हैं कि उन्हें साजिशन हराया गया है। उनकी रणनीति यह है कि इसके जरिए अपने कट्टरपंथी कंजरवेटिव समर्थकों को और गोलबंद किया जाए, अतिरिक्त चंदा जुटाया जाए और रिपब्लिकन पार्टी के नेतृत्व पर अपनी पकड़ बरकरार रखी जाए।

साथ ही ट्रंप ये धारणा बनाए रखना चाहते हैं कि जो बाइडन अवैध तरीके से राष्ट्रपति बन रहे हैं। इसके जरिए वे उन बातों का बदला लेना चाहते हैं, जो चार साल पहले उनके चुनाव जीतने के बाद से लगातार कही गई थीं। तब डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों ने ये धारणा बनाए रखी कि ट्रंप रूस की मदद से अनुचित तरीकों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति पद पर पहुंचे हैं।

सीएनएन के मुताबिक ट्रंप अपने दामाद, बेटी और उनकी तरह राय रखने वाले सहयोगियों को ये संदेश दे चुके हैं कि फिलहाल उनकी सलाह उन्हें मंजूर नहीं है। इस हफ्ते उन्होंने एक ट्विटर संदेश में साफ कहा- जुइलियानी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के हमारे अधिकार की रक्षा के लिए कानूनी प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने ये साफ कर दिया कि वे जुइलियानी और अपने बेटों की राय पर भरोसा कर उसी रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। वे ट्विटर पर लगातार कह रहे हैं कि वे हार नहीं मानेंगे, चुनाव में धांधली हुई है और असली विजेता वे ही हैं।

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अमेरिकी मीडिया की कुछ खबरों में बताया गया है कि ह्वाइट हाउस छोड़ने के तुरंत बाद यह हो सकता है कि ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना प्रचार अभियान शुरू कर दें। इस तरह वे चार साल अपना माहौल बनाए रखेंगे। इससे उनके समर्थक गोलबंद और राजनीतिक रूप से सक्रिय रहेंगे। पिछले हफ्ते के आखिर में वॉशिंगटन और दूसरे शहरों में जिस तरह उनके समर्थकों की भीड़ जुटी, उससे साफ है कि कंजरवेटिव खेमे पर उनकी पकड़ बरकरार है। इसी ताकत के बूते अभी तक रिपब्लिकन पार्टी पर भी उनका वर्चस्व बना हुआ है।

ट्रंप के पूर्व निकट सहयोगी जॉन बॉल्टन ने टीवी चैनल एबीसी से कहा कि ट्रंप जो कर रहे हैं वह बिल्कुल उनके स्वभाव के अनुरूप है। उन्हें वो बात कभी अच्छी नहीं लगती, जो उन्हें पसंद नहीं होती है। बॉल्टन को राष्ट्रपति ट्रंप ऩे अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया था, लेकिन बाद मतभेदों के कारण उन्हें हटा दिया।

बॉल्टन का कहना है- मुझे उम्मीद नहीं है कि ट्रंप गरिमामय ढंग से अपना पद छोड़ देंगे। वे हटेंगे, लेकिन उसके पहले ये कहानियां फैलाई जाएंगी कि किस तरह लोगों ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा। षडयंत्र की कहानियां फैलाई जाएंगी। ट्रंप निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन के लिए जितनी मुश्किलें खड़ी की जा सकती हैं, उतनी करेंगे।

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