11वर्षीय बच्ची की मौत पर CM रघुवर दास, बोले- अगर नही था राशन तो घर के और बच्चे जिन्दा कैसे?

हाल ही में झारखंड के सिमडेगा और धनबाद जिलों में भूख से हुई मौतों के बाद भारत की एक शर्मनाक तस्वीर जगजाहीर हो रही है कि विकास की राह पर चल रहे भारत में आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता। पिछले ही दिनों झारखंड के सिमडेगा में एक 11 साल की बच्ची की भूख से जान चली गई थी और अब एक 40 साल के रिक्शावाले की भूख से मौत हो गई है।11वर्षीय बच्ची की मौत पर CM रघुवर दास, बोले- अगर नही था राशन तो घर के और बच्चे जिन्दा कैसे?

लगातार हो रही इन मौतों पर झारखंड सरकार निशाने पर हैं… इन आलोचनाओं के बीच अब पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का बयान सामने आया है। उनका कहना है कि बच्चे की मौत भूख की वजह से नहीं हुई है बल्कि बीमारी की वजह से हुई। बच्चे को मलेरिया था घर में और भी बच्चे थे। अगर भूख की वजह से बच्चे की मौत होती तो अन्य बच्चे कैसे जिंदा रहते?

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वहीं धनबाद में हुई 40 वर्षीय रिक्शावाले की मौत पर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि जिस शख्स की मौत हुई उसके दो बेटे हैं, जो सात-आठ हजार रूपये कमाते है हर महीने… इसकी मौत की वजह भूख नहीं बल्कि बीमारी है।    

गौरतलब है कि रघुवर दास ने मंगलवार को सिमडेगा के उपायुक्त से 11 वर्षीय लड़की की हाल में भुखमरी से हुई मौत के मामले की जानकारी ली और उन्हें इस मामले की 24 घंटे के भीतर एक बार फिर से स्वयं जांच के निर्देश दिए। वहीं पीड़ित परिवार को 50 हजार की सहायता राशि दी है। सिमडेगा के उपायुक्त मंजूनाथ ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि तीन सदस्यीय जांच कमिटी ने मौत की विस्तृत जांच की है और जांच में भुखमरी की बात गलत साबित हुई है।

आपको बता दें, झारखंड के ही सिमडेगा में 11 साल की संतोषी कुमारी की भूख से मौत हो गई थी। उनको राशन वाले ने राशन इसलिए देने से मना कर दिया क्योंकि उनका राशन कार्ड आधार कार्ड से लिंक नहीं था। भूख इतनी क उसके हाथ-पैर अकड़ गए और 28 सितंबर को उसने दम तोड़ दिया। संतोषी की मां का कहना है कि स्थानीय राशन डीलर ने महीनों पहले उसके परिवार का राशन कार्ड रद्द करते हुए उन्हें अनाज देने से मना कर दिया था। डीलर की दलील थी कि उन्होंने अपना राशन कार्ड आधार नंबर से लिंक नहीं कराया। 

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वहीं, दूसरे मामले में तकरीबन 40 साल के वैद्यनाथ दास रिक्शावाला बहुत गरीब शख्स थे, लेकिन उन्हें किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा था। उनके परिवार का कहना है कि वैद्यनाथ पिछले 3 साल से बीपीएल लिस्ट में अपना नाम डलवाने और राशन कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इनके परिवार का कहना है कि अगर उन्हें गरीबी से जुड़ी योजना का लाभ मिलता तो शायद उनकी मौत न होती। 

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