सुशांत के मामले को लेकर केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच के लिए जारी की अधिसूचना…
सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले में सीबीआई जांच के लिए केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। आज सीबीआई एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर सकती है। वहीं सीबीआई की टीम गुरुवार को बिहार पुलिस से इस मामले से जुड़ी डिटेल ले सकती है। दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय में दिशा सालियान और सुशांत मामले के आपस में जुड़े होने को लेकर याचिका दाखिल की गई है। इसके अलावा बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने गुरुवार को कहा कि मुंबई पुलिस द्वारा बिहार के आईपीएस अधिकारी को क्वारंटीन करना अव्यवसायिक है।
बिहार के डीजीपी ने कहा, ‘मुंबई पुलिस का बिहार पुलिस अधिकारी को क्वारंटीन करने का कदम अव्यवहारिक है। यहां तक कि, उच्चतम न्यायालय ने भी मामले में अपनी टिप्पणी की। फिर भी, उनकी (मुंबई पुलिस) तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। तिवारी को अभी भी छोड़ा नहीं जा रहा है।’
बीएसमी के अपर नगर आयुक्त ने मुंबई में बिहार के आईपीएस अधिकारी को चार अगस्त को क्वारंटीन किए जाने के कदम पर आईजीपी पटना (सेंट्रल) को पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में लिखा है कि ‘वे महाराष्ट्र सरकार के संबंधित अधिकारियों के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे कि जूम/ गूगल मीट/ जियो मीट या ऐसे अन्य प्लेटफॉर्म पर कार्यवाही कर सकते हैं।’
विनय तिवारी को क्वारंटीन से नहीं मिली छूट
बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा, ‘विनय तिवारी को क्वारंटीन से छूट नहीं मिली है, यह हाउस अरेस्ट की तरह है। कल महाधिवक्ता से परामर्श के बाद हम तय करेंगे कि क्या कार्रवाई की जाए। अदालत जाना भी एक विकल्प है।’
दिशा सालियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को एक याचिका दायर की गई। इसमें सुशांत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियन की मौत की जांच भी सीबीआई से कराने का निर्देश देने की मांग की गई है।
सुशांत और दिशा की मौत का है आपस में सबंध
वकील विनीत ढांडा ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके सुशांत और दिशा के मामलों के एक-दूसरे से जुड़े होने का हवाला दिया गया है। याचिका में मुंबई पुलिस को सालियन की मौत की जांच रिपोर्ट का रिकॉर्ड रखने का निर्देश देने की मांग भी की है। मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा गया है कि उनकी केस फाइल गायब है या डिलीट कर दी गई है। ढांडा ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस केस की रिपोर्ट मांगी जाए। यदि जांच ठीक न लगे तो इस मामले को भी सीबीआई को सौंपा जाए।