डिपॉजिट पर अधिक निर्भरता से सार्वजनिक बैंकों की लागत बढ़ी, पर सुधार के संकेत मजबूत

देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) अपनी फंडिंग जरूरतों के लिए निजी बैंकों की तुलना में जमा (डिपॉजिट्स) पर अधिक निर्भर रहते हैं। वहीं, निजी क्षेत्र के बैंक अपनी वित्तपोषण जरूरतों के लिए उधारी (बॉरोइंग) का अधिक सक्रिय उपयोग करते हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार वित्तपोषण स्रोतों में इस अंतर के चलते पीएसबी को वित्तपोषण लागत में 20 से 30 आधार अंक का नुकसान हुआ है। बैलेंस शीट के लायबिलिटी पक्ष में, पीएसबी जमाराशियों पर लगभग 10 प्रतिशत अंक अधिक निर्भर है।
पीएसबी में हो रहे स्थायी सुधार
इसमें बताया गया कि वित्त वर्ष 19 से पहले यह अंतर 50 से 70 बीपीएस था, जो पुनर्पूंजीकरण प्रयासों के बाद लागत अंतर में महत्वपूर्ण कमी का संकेत देता है। पीएसबी को संरचानत्क रूप से कमजोर माना जाता था, वे अब एक स्थायी सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं। बेहतर गवर्नेंस, बैलेंस शीट की सफाई, पुनर्पूंजीकरण और डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार जैसे कदमों से यह बदलाव आया है। इसके अलावा आय की गुणवक्ता और स्थिरता में भी सुधार देखा गया है। वित्त वर्ष 2025 में पीएसबी लोन बाजार हिस्सेदारी में 52 आधार अंक की वृद्धि हुई। साथ ही, सेवा मानकों को बढ़ाया गया और रिटर्न रेशियो में भी मजबूती आई है। पीएसबी का रिटर्न ऑन एसेट 1 प्रतिशत के करीब पहुंचने के बावजूद निवेशक अब भी इसकी स्थिरता को लेकर सतर्क हैं। रिटर्न ऑन एसेट्स (आरओए) एक वित्तीय अनुपात है जो बताता है कि कोई कंपनी अपनी परिसंपत्तियों का उपयोग करके कितना लाभ कमाती है।
सकल और नेट स्लिपेज में आई गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया कि पीएसबी अब निजी बैंकों की तुलना में कम ग्रॉस और नेट स्लिपेज रिपोर्ट कर रहे हैं। हालांकि, पीएसबी राइट ऑफ में अधिक आक्रामक रहे हैं, लेकिन क्रेडिट लागत काफी हद तक निजी बैंकों के बराबर आ गया है। इसके बावजूद सार्वजनिक बैंकों को रिटर्न ऑन एसेट के मामले में 80 से 90 आधार अंक का नुकसान होता है। हालांकि, शाखाओं और कर्मचारियों के पुनर्गठन के बाद उनकी कार्यकुशलता में सुधार हुआ है। बचत खातों की संख्या प्रति शाखा के मामले में पीएसबी अब आगे हैं, लेकिन कुल जमा के लिहाज से प्रति शाखा उत्पादकता में निजी बैंक अब भी बढ़त बनाए हुए हैं।