उत्तराखंड : 38वें राष्ट्रीय खेल आगे खिसकने के आसार, आईओए ने भेजा पत्र
देहरादून में एथलेटिक्स ट्रैक की खोदाई के चलते 38वें राष्ट्रीय खेल आगे खिसक सकते हैं। अब खेल 28 जनवरी से 14 फरवरी के बजाय 15 फरवरी से दो मार्च के बीच कराए जा सकते हैं। आज (मंगलवार को) शासन में मुख्यमंत्री और खेल मंत्री बैठककर नई तारीखों का औपचारिक एलान कर सकते हैं।
आईओए से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बीते रविवार को नई दिल्ली में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के साथ जीटीसीसी की बैठक में राज्य की खेल तैयारियों को लेकर सवाल उठे। फेडरेशन के कुछ सदस्यों ने देहरादून के स्पोर्ट्स स्टेडियम में एथलेटिक्स ट्रैक खोदा होने और वहां जेसीबी से काम चलने की फोटो आईओए अध्यक्ष पीटी ऊषा के सामने रखी। आरोप लगाया कि ट्रैक को मनमाने ढंग से खोद दिया गया है। इसे तैयार करने में दो महीने से ज्यादा वक्त लगेगा, ऐसे में खेल कैसे होंगे।
बैठक में और भी सवाल उठे। इस दौरान एथलेटिक्स इवेंट को हल्द्वानी में शिफ्ट करने पर का सुझाव भी आया। देर शाम आईओए की ओर से उत्तराखंड शासन को पत्र जारी हुआ कि चाइना में एशियाई विंटर गेम सात से 14 फरवरी के मध्य होने हैं। इसलिए राष्ट्रीय खेल 15 फरवरी से दो मार्च के बीच करवाए जाएं, ताकि वहां प्रतिभाग करने वाले देश के विभिन्न राज्यों के खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में भी प्रतिभाग कर सकें।
शासन और फेडरेशनों में आरोप-प्रत्यारोप
अब शासन अपने पिछले दावों की लाज बचाने में जुटा है। सूत्रों का कहना है कि आरोपों की गेंद एक-दूसरे के पाले में डालने की कोशिश की जा रही है। खेल अधिकारी कह रहे हैं कि सभी खेलों की फेडरेशन अभी तैयार नहीं हैं। वहीं फेडरेशन कह रही हैं कि शासन ने जितने दावे किए, उतनी जमीनी तैयारियां नहीं हुईं। अभी तक पूरे कैंप भी नहीं लगे।
एथलेटिक्स ट्रैक बाधा नहीं
28 जनवरी से खेल कराने के लिए शासन की तैयारियां पूरी हैं। ट्रैक कोई बाधा नहीं है। नीचे नमी होने के कारण उसके एक हिस्से को खोदना पड़ा है, जिसे दिन-रात के काम से 25 दिसंबर तक तैयार करवा देंगे। खेल निदेशालय तैयारियों पर 24 घंटे काम कर रहा है। सुबह 9 और रात 9 बजे भी तैयारियों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होती है। खेल स्थानों का देर रात निरीक्षण शुरू कर दिया है। – अमित सिन्हा, विशेष प्रमुख सचिव खेल
नई तारीखों को लेकर अभी कुछ नहीं कह सकते। खेलों के लिए सभी फेडरेशन तैयार हैं। एथलेटिक्स ट्रैक एसोसिएशन के संज्ञान में लाए बिना खोद दिया गया। उसको खोदे बिना ट्रीटमेंट किया जा सकता था। – महेश नेगी, अध्यक्ष, उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन