बड़ी खबर: प्रीपेड मोबाइल नंबर का वेरिफिकेशन, सही नहीं होने पर बंद होगी सर्विस
देश में जल्द ही प्रीपेड मोबाईल नंबरों का वेरिफिकेशन शुरू होगा. उपभोक्ता के सही पाए जाने पर ही नंबर जारी रखने दिया जाएगा. इसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इस काम को एक साल में पूरा करने की कोशिश की जाए.
क्या होगी प्रक्रिया
रिचार्ज के वक़्त ग्राहक को एक ई-केवाईसी फॉर्म भरने को दिया जाएगा. उपभोक्ता की पहचान के लिए आधार नंबर या दूसरे दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जाएगा. एक बार फॉर्म मिलने के बाद अगले 2-3 रिचार्ज तक उसे भर देना होगा. इससे ज़्यादा मौका नहीं मिलेगा.
नए उपभोक्ताओं पर भी लागू
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि ई-केवाईसी को नए ग्राहकों के लिए भी अनिवार्य किया जा रहा है. सरकार चाहती है कि सिर्फ आधार नंबर में दर्ज बायोमेट्रिक पहचान से ही नए नंबर दिए जाएं. देश में 110 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड होने की वजह से ऐसा करने में दिक्कत नहीं होगी. फिर भी अभी इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा रहा है. फ़िलहाल मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड के जरिए भी ग्राहक अपनी पहचान बता सकेंगे.
ऐप के जरिए होने वाले रिचार्ज पर भी लागू
पेटीएम, फ्रीचार्ज, मोबिक्विक जैसे ऐप से होने वाले रिचार्ज पर भी ये व्यवस्था लागू होगी. हालांकि, आज कोर्ट में इन पर अलग से चर्चा नहीं हुई. लेकिन सरकार ने खुद ही 1 साल में सभी प्रीपेड मोबाईल नंबर वेरीफाई करने की बात कही है. ऐसे में उसे प्रक्रिया बनानी होगी जिससे दुकान न जाकर, ऐप से रिचार्ज करने वाले लोगों को भी ई-केवाईसी के बारे में बताया जा सके.
क्या थी याचिका
एनजीओ लोकनीति फाउंडेशन की तरफ से दाखिल याचिका में ये कहा गया था कि फरवरी 2016 तक देश में लगभग 105 करोड़ मोबाईल उपभोक्ता थे. खुद टेलीकॉम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इनमें से लगभग 5 करोड़ नंबर बिना पुख्ता वेरिफिकेशन के हैं. फ़र्ज़ी पहचान से हासिल नंबरों का इस्तेमाल अपराध और आतंकवादी गतिविधियों में होता है. अब मोबाईल को बैंकिंग से जोड़ने के बाद अब लोगों के पैसे ठगे जाने का खतरा बढ़ गया है. इसलिए सभी नंबरों की पहचान ज़रूरी है.
केंद्र का जवाब
केंद्र की तरफ से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि पोस्ट पेड मोबाईल उपभोक्ताओं की पहचान में कोई समस्या नहीं है. लेकिन 90 फीसदी से ज़्यादा नंबर प्रीपेड हैं. इन सबको वेरीफाई किया जाएगा. हालांकि, अगर इस काम में ज़्यादा तेज़ी दिखाई गयी तो इससे काफी असुविधा होगी. रिचार्ज करने वाली दुकानों के बाहर लोगों की लंबी लाइन लगने लगेगी.
कोर्ट का आदेश
चीफ जस्टिस जे एस खेहर और एन वी रमना की बेंच ने केंद्र की दलीलों को स्वीकार किया. कोर्ट ने कहा कि लोगों को अपनी पहचान साबित करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए. सरकार इस बात की कोशिश करे कि सारी प्रक्रिया एक साल के भीतर पूरी हो जाए.