बड़ी खबर: सरदार सरोवर बांध के गेट खुलते ही डूब जाएंगे 200 से ज्यादा गांव
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े सरदार सरोवर बांध से विवादों का भी नाता है और इसके पीछे वो हजारों लोग हैं, जिनके गांव का अस्तित्व सरदार सरोवर बांध में हमेशा के लिए गुम हो जाएगा। बांध के 30 दरवाजों के खुलते ही मध्य प्रदेश के 192 गांव, महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव नक्शे से मिट जाएंगे।
अदालत और राजनीतिक विवादों से गुजरते हुए मुकाम तक पहुंचे सरदार सरोवर बांध को पीएम नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर लोकार्पित कर रहे हैं। गुजरात में जश्न है तो मध्य प्रदेश में मायूसी।। देश के सबसे ऊंचे बांध का पहला पन्ना।। स्वागत और विरोध के दो सुरों के साथ ही लिखा जा रहा है।
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हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया :
मध्य प्रदेश के दो जिलों में सरदार सरोवर बांध के बैक वॉटर का स्तर 128 मीटर के पार पहुंचने से निचले इलाकों में जल भराव हो गया और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। ये इलाके गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में आते हैं।
MP के धार और बड़वानी जिलों में बढ़ रहा पानी :
संभागायुक्त संजय दुबे ने को बताया कि धार और बड़वानी जिलों में बांध के बैक वॉटर का स्तर बढ़ने के मद्देनजर हम नर्मदा तट के पास स्थित निचले इलाकों में बसे लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने में उनकी मदद कर रहे हैं। दुबे ने स्पष्ट किया कि धार और बड़वानी जिलों में बांध के बैक वॉटर का स्तर पिछ्ले कई दिनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वहां एकाएक बाढ़ आने जैसी कोई स्थिति नहीं है।
उन्होंने बताया कि जल भराव के कारण जिन निचले इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, उनमें चिखल्दा गांव और निसरपुर कस्बा शामिल है। आने वाले दिनों में बांध के बैक वॉटर का स्तर और बढ़ने पर मध्यप्रदेश के धार, बड़वानी, अलीराजपुर और खरगोन जिलों के उन इलाकों के आंशिक रूप से जलमग्न होने का खतरा है, जो नर्मदा नदी के एकदम पास बसे हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सरदार सरोवर बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने से आने वाली डूब के कारण मध्यप्रदेश के 141 गांवों के 18,386 परिवार प्रभावित होंगे। सूबे में बांध विस्थापितों के लिये करीब 3,000 अस्थायी आवासों और 88 स्थायी पुनर्वास स्थलों का निर्माण किया गया है।
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40,000 परिवारों को झेलनी होगी त्रासदी :
नर्मदा बचाओ आंदोलन का दावा है कि बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने की स्थिति में सूबे के 192 गांवों और एक कस्बे के करीब 40,000 परिवारों को विस्थापन की त्रासदी झोलनी पड़ेगी। संगठन का यह भी आरोप है कि सभी बांध विस्थापितों को न तो सही मुआवजा मिला है, न ही उनके उचित पुनर्वास के इंतजाम किये गये हैं।
विस्थापन की स्थिति बनने से आक्रोशित लोगों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के नेतृत्व में छोटा बारदा गांव में जल सत्याग्रह आंदोलन किया।