हरियाणा कांग्रेस के नेता गुटबाजी से नहीं उबरे तो और बढ़ेंगी मुश्किलें….

 हरियाणा में विधानसभा चुनावों की रिहर्सल माने जा रहे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों की बुरी तरह हार से पार्टी दिग्गज सकते में हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी के चक्कर में पार्टी को छह खेमों में बांटने वाले हरियाणा कांग्रेस के क्षत्रप न केवल अपने ही गढ़ में खुद हारे, बल्कि बेटे-बेटियों को भी नहीं जिता पाए। चार महीने बाद हो रहे विधानसभा चुनाव से पहले ही हरियाणा कांग्रेस के नेता गुटबाजी से नहीं उबरे तो मुश्किलें और बढ़ेंगी।

लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेसियों को सिर जोड़ने की नसीहत दे गए हैं। मौजूदा हालात में कांग्रेस के लिए परीक्षा की घड़ी है। संसदीय चुनाव में सभी दिग्गजों की करारी हार के साथ ही विधानसभा चुनावों में जीते हलकों में भी कांग्रेसी दुर्ग ढह गया। कांग्रेस के रणनीतिकार लोकसभा चुनाव के नतीजों से खासे चिंतित हैं। अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में अगर मौजूदा ट्रेंड जारी रहा तो कांग्रेस के लिए घातक होगा।

मौजूदा समय में हरियाणा में कांग्रेस के 17 विधायक हैं, लेकिन पार्टी को बढ़त मिली सिर्फ दस हलकों में। इसमें भी तीन हलके मेवात के हैं जो पार्टी ने इनेलो से छीने। गुरुग्राम में पार्टी उम्मीदवार कैप्टन अजय यादव ने इनेलो विधायक जाकिर हुसैन के हलके नूंह, नसीम अहमद के हलके फिरोजपुर झिरका और रहीश खान के पुन्हाना में जीत दर्ज कर कांग्रेस के जख्मों पर मरहम लगाया।

अपने दस मौजूदा विधायकों के हलकों में कांग्रेस हार गई। दस लोकसभा क्षेत्रों में से आधा दर्जन में कांग्रेस एक भी हलके में नहीं जीत सकी, जबकि इन संसदीय क्षेत्रों में 54 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद, भिवानी-महेंद्रगढ़ और सिरसा संसदीय क्षेत्र के हलकों में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। 

धनखड़ के हलके में दीपेंद्र की जीत का मरहम

कांग्रेस के लिए राहत की बात सिर्फ इतनी रही कि भाजपा के जाट मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के बादली हलके में दीपेंद्र हुड्डा जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। हालांकि एक और मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के नारनौंद हलके में भी भाजपा हारी, लेकिन यहां कांग्रेसी उम्मीदवार भव्य बिश्नोई पर दुष्यंत चौटाला भारी पड़ गए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हलके गढ़ी सांपला किलोई, पूर्व मंत्री और विधायक गीता भुक्कल के झज्जर, आनंद सिंह दांगी के हलके महम और पूर्व स्पीकर डॉ. रघुबीर कादियान के हलकों में दीपेंद्र की जीत टॉनिक का काम करेगी।

सुरजेवाला, बिश्नोई, किरण और जेपी नहीं बचा सके दुर्ग

कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुलदीप बिश्नोई और विधायक दल की नेता किरण चौधरी भी अपने दुर्ग नहीं बचा पाए। सुरजेवाला के हलके कैथल में पार्टी उम्मीदवार निर्मल सिंह हारे तो हिसार संसदीय क्षेत्र के आदमपुर में कुलदीप बिश्नोई और हांसी में रेणुका बिश्नोई भी अपने बेटे भव्य को बढ़त नहीं दिला सके। किरण चौधरी भी अपने तोशाम हलके से बेटी श्रुति चौधरी को जीत नहीं दिला पाई। कांग्रेस का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक जयप्रकाश जेपी भी कलायत में कुछ खास नहीं कर सके।

तंवर अपने हलके में भी हारे, सोनीपत में हुड्डा दो हलकों में सिमटे

हरियाणा कांग्रेस के प्रधान और सिरसा से प्रत्याशी अशोक तंवर अपने खुद के हलके में हार गए। कुमारी सैलजा भी अंबाला में कोई करिश्मा नहीं दिखा पाईं। सोनीपत में कांग्रेस के पांच विधायक थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सिर्फ खरखौदा व बरौदा में ही जीत पाए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा के गन्नौर, जयतीर्थ दहिया के राई और जगबीर मलिक के गोहाना में हुड्डा पिछड़ गए। पलवल में कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल, तिगांव में ललित नागर और होडल में उदयभान भी पार्टी प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना को बढ़त नहीं दिला पाए।

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