सैलून की होम सर्विस डिमांड बढ़ी, दाढ़ी- बाल के चार्ज दोगुने

न्यूज़ डेस्क

लखनऊ। कोरोना की महामारी में भी बाल-दाढ़ी बनाने वाले कारीगरों की मांग बरकरार है। बड़े- बड़े सैलून से लेकर फुटपाथ तक पर दुकान लगाने वालों को लोग खोजते फिर रहे हैं। लॉकडाउन में सैलून व छोटी दुकानें बंद होने से इनकी डिमांड और बढ़ गई है।

घर बुलाकर इनकी सेवा लेने के लिए लोगों को अधिक जेब ढीली करनी पड़ रही है। वैसे भी सामान्य दिनों में बाल, दाढ़ी, मसाज आदि की होम सर्विस के लिए लोगाें को सैलून व दुकान के रेट से करीब दोगुना चार्ज देना पड़ता है।

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कोरोना संकट के चलते घरों में कैद लोगों के लिए बाल, दाढ़ी भी किसी बड़ी समस्या से कम नहीं है। बढ़ती गर्मी में बाल व दाढ़ी के बोझ से निजात के लिए लोग सैलून व छोटे दुकानों के कारीगरोें को घर बुला रहे हैं।

चोरी-छिपे खुल रहीं दुकानों में बहुत से लोग संक्रमण के डर से नहीं जा रहे हैं। ऐसे में होम सर्विस की मांग बढ़ने से छोटे-बड़े सभी कारीगराें ने अपना भाव भी बढ़ा दिया है।

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कारीगरों की माने तो

बृजेश शर्मा ने बताया कि वे पहले घर की ही एक दो दुकान में सैलून का काम करते थे। इसके बाद लॉकडाउन के चलते सैलून बंद हो गया। इसके बाद आसपास के लोग हेयर कटिंग, सेविंग के लिए घर पर आने लगे। पहले तो लोगों को मना किया, लेकिन जब हमारी जेब, परिवार का खर्च आदि भारी पड़ने लगा तो घर-घर जाकर काम शुरू कर दिया। अब तो पहले से अधिक कमाई हो रही है।

खरगापुर के राकेश सचान का कहना है कि लॉकडाउन से पहले वे फुटपाथ पर गुमटी में काम करते थे। जैसे- तैसे परिवार चल रहा था। लेकिन इस समय काम भी खूब मिल रहा है और कमाई भी अच्छी हो रही है। पहले जहां महीने के अंत तक उधारी मांगने की नौबत आ जाती थी, अब तो घर- घर सर्विस देने से रोजाना 200 अधिक कमाई हो रही है।

संडीला के मोहन प्रकाश कहते है कि सामान्य दिनों में हेयर कटिंग 20 व सेविंग 15 रुपये में होती थी। कुछ दिन पहले घर में पिता जी, बच्चे व अपना बाल कटवाना था। काफी प्रयास के बाद एक सैलून कर्मी घर आया। पूरी सावधानी व सैनिटाइजर के उपयोग के साथ तीनों लोगों की कटिंग हुई, जिसके लिए 200 रुपये दिए। एक सेविंग के लिए कारीगर ने 50 रुपये तक मांगे।

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