धरती का वो कौन सा देश है, जहां न्यूक्लियर बम का नहीं होगा असर?

जब से धरती के कई देशों ने न्यूक्लियर बम बनाया है, तब से ही न्यूक्लियर हमले का खतरा बना रहता है. आए दिन देशों के बीच युद्ध होने की खबरें आती हैं, और दुनिया इसी डर में जीने लगती है कि कहीं अगर इन युद्धों ने वर्ल्ड वॉर का रूप ले लिया और किसी देश ने न्यूक्लियर बम गिरा दिया तो उसका क्या नतीजा होगा? अमेरिका की एक फेमस इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट ने सालों से इस बात पर शोध किया है कि न्यूक्लियर युद्ध का क्या असर होगा. उन्होंने बताया कि अगर धरती पर न्यूक्लियर हमला (How to survive nuclear attack) होता है, तो वो कौन से देश होंगे, जहां रहकर इंसान की जान बचने की संभावना ज्यादा हो सकती है.

डेली स्टार न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार ‘डायरी ऑफ आ सीईओ’ पॉडकास्ट से बात करते हुए उन्होंने हाल ही में धरती पर मौजूद उन 2 देशों के बारे में बताया, जहां पर रहकर न्यूक्लियर हमले से बचा जा सकता है. एनी ने कहा कि अगर धरती पर न्यूक्लियर हमला (What happens after nuclear attack) हो, तो 72 घंटे के अंदर 500 करोड़ लोग मर जाएंगे. बचे हुए 300 करोड़ लोगों को कई प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा. 3 महाद्वीपों से लगी आग की वजह से जो धुआं उठेगा, जिसकी वजह से छोटा हिम युग का दौर शुरू हो जाएगा.

न्यूक्लियर हमले के बाद आ सकता है हिम युग
इस वजह से बचे हुए लोग खाना नहीं पैदा कर पाएंगे. धरती का अधिकतर हिस्सा, खासकर बीच वाला भाग पूरी तरह बर्फ की मोटी चादर से ढक जाएगा. आइओवा और यूक्रेन जैसी जगहें 10 सालों तक बर्फ से ढक जाएंगी. न्यूक्लियर विंटर का असर इतना बुरा होगा कि फसलें पूरी तरह नष्ट हो जाएंगी और दोबारा नहीं उग पाएंगी. इसकी वजह से लोग मर जाएंगे. रेडिएशन पॉइजनिंग भी होने लगेंगी क्योंकि ओजोन लेयर भी नष्ट हो जाएगी, इस कारण लोगों को धरती के नीचे ही रहकर खुद को धूप ते बचाना होगा.

इन दो जगहों पर रहकर बच सकती है जान!
एनी ने बताया कि क्लाइमेट और एटमॉस्फियरिक साइंस के एक्सपर्ट, प्रोफेसर ब्रायन टून ने उनसे कहा था कि धरती पर सिर्फ दो जगहें बचेंगी, जहां खेती हो पाएगी, वो हैं ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड. उन्होंने कहा कि अमेरिका और धरती के कुछ अन्य देशों में अरबपति लोग अपने छुपने के लिए न्यूक्लियर बंकरों का निर्माण कर रहे हैं. पर वो भी तब तक ही कारगर होंगे, जब तक उनको ऊर्जा की आपूर्ति हो रही होगी. छोटे वाले बंकर तब तक चलेंगे, जब तक डीजल जेनरेटर को चलाने के लिए गैसोलीन उपलब्ध होगा.

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