सीरिया में हिजबुल्ला के हथियार ठिकाने पर इजरायल ने किया बड़ा हमला

सीरियाई राजधानी दमिश्क के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास गुरुवार तड़के भीषण विस्फोट हुआ जिससे वहां आग लग गई। माना जा रहा है कि इजरायली हवाई हमले के कारण ऐसा हुआ।

सीरिया ने इजरायल पर

इजरायल के निशाने पर हिजबुल्ला का आयुध ठिकाना था। हिजबुल्ला लेबनान के शिया विद्रोहियों का गुट है और सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थन में लड़ रहा है। इस गुट को ईरान का समर्थन हासिल है।

जिस जगह को निशाना बनाया गया वहां ईरान से मिले हथियार रखे जाने का अनुमान है। सीरिया की सरकारी मीडिया के अनुसार हवाई अड्डे से दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक सैन्य ठिकाने पर इजरायल ने हमला किया।

हिजबुल्ला के टीवी अल-मनार के मुताबिक हमले में एक गोदाम और ईंधन टैंक नष्ट हो गए। कोई हताहत नहीं हुआ है। आसपास के इलाकों में मौजूद विद्रोही गुटों के मुताबिक कम से कम पांच बार इस जगह पर हमले किए गए।

सीरिया में छह साल से जारी गृहयुद्ध में इजरायल कई बार हवाई हमले कर चुका है। ज्यादातर उसके निशाने पर हिजबुल्ला के हथियारों के काफिले और ठिकाने रहे हैं। हालांकि वह इनकी पुष्टि कभी नहीं करता।

इजरायल के खुफिया विभाग के मंत्री इजरायल कात्ज ने इस बार हमले के पीछे हाथ होने के संकेत दिए हैं। अमेरिका के रेडियो आर्मी से बातचीत में उन्होंने कहा कि हिजबुल्ला को हथियारों की आपूर्ति रोकना उनकी नीति का हिस्सा है।

सीरिया सरकारी न्यूज एजेंसी के अनुसार दिसंबर 2014 में भी इजरायल ने इस जगह पर हवाई हमले किए थे। माना जाता है कि ईरान से सैन्य और वाणिज्यिक विमानों से आने वाले हथियार दमिश्क एयरपोर्ट पर ही उतरते हैं। इन्हीं विमानों से शिया लड़ाके भी सीरिया आते हैं।

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खुफिया सूत्रों के मुताबिक 10 से 20 हजार ऐसे लड़ाके सीरियाई सेना के साथ मिलकर लड़ रहे हैं। इजरायल और हिजबुल्ला के बीच 2006 में एक महीने लंबी लड़ाई चली थी। इसमें 13 सौ लोग मारे गए थे।

10 लाख से ज्यादा लेबनानी और करीब पांच लाख इजरायली बेघर हो गए थे। इजरायल का मानना है कि सीरिया में करीब 25 हजार ऐसे लड़ाके हैं जिन्हें ईरान नियंत्रित करता है।

हिजबुल्ला ने एक विशाल शस्त्रागार भी यहां बना रखा है, जिसमें एक लाख से ज्यादा मिसाइल है। यह गुट इजरायल के किसी भी जगह को निशाना बनाने में सक्षम है।

रूस ने जताई नाराजगी

इजरायल के हमले पर रूस ने नाराजगी जताई है। उसने कहा है कि सभी देशों को सीरिया की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और ऐसी कार्रवाई से बचना चाहिए जिससे इलाके में तनाव बढ़े।

उल्लेखनीय है कि रूस के कारण ही अंतरराष्ट्रीय बिरादरी अब तक असद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है। चार अप्रैल को खान शेखहुन में सीरियाई सेना के रासायनिक हमले में सौ लोगों की मौत हो गई थी।

हमले के बाद अमेरिका ने सीरियाई सैन्य ठिकाने पर मिसाइलें दागी थी। इस घटना के बाद से अमेरिका और रूस के बीच तनातनी चरम पर है।

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