सावन के हर सोमवार पर बनेगा विशेष योग, जानें किस दिन की पूजा से मिलेगा कौन सा फल

इस वर्ष सावन मास में चार सोमवार पड़ेंगे, जो बहुत ही अद्भुत संयोग है। सावन में दो सोमवार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को रहेगा। इनमें से दो सोमवार के साथ प्रदोष व्रत का भी संयोग बनेगा। कृष्ण पक्ष में और शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि में सोमवार होने से भगवान शिव की पूजा बेलपत्र और दूध से अभिषेक करने से किसी भी तरह का दोष समाप्त होता है। रोगों से छुटकारा मिलता है, पितृदोष से मुक्ति मिलती है और रोजगार से सम्बंधित बाधाओं में समाधान मिलता है।

सोम प्रदोष व्रत का महत्व 

सोम प्रदोष में भगवान शिव का अभिषेक रुद्राभिषेक और उनका श्रृंगार करने का बहुत ही महत्व है। सोम प्रदोष वाले दिन महादेव की पूजा अर्चना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। लड़का या लड़की की शादी-विवाह की अड़चनें दूर होती है। संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करना चाहिए। जिन्हें  लक्ष्मी प्राप्ति और कारोबार मे सफलता की कामना हो, उन्हें दूध से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। इस पूजा से उन्हें प्रत्येक काम में सफलता प्राप्त होगी। 

सावन का पहला सोमवार

इस सावन में चारों सोमवार अति विशेष है। सोमवार का व्रत करते हुए महादेव की पूजा आराधना करने से कल्याणकारी होगा। सावन का प्रथम सोमवार 22 जुलाई को है। इस दिन रुद्राभिषेक करने से संतान सुख में बाधा नहीं आती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष या कालसर्प योग है, उन्हें इस पूजन से शांति मिलेगी। 

सावन का दूसरा सोमवार

सावन मास को दूसरा सोमवार 29 जुलाई को है। इस दिन सोम प्रदोष व्रत भी रहेगा। इस दिन के रुद्राभिषेक से मानसिक अशांति, गृह क्लेश और स्वास्थ्य संबंधी चिंता दूर हो जाएगी। 

सावन का तीसरा सोमवार

तीसरा सोमवार अद्भुत मुहूर्त में आ रहा है जो कि पांच अगस्त को पड़ेगा। यह दिन सावन के श्रेष्ठ मुहूर्तों में एक है। इस दिन पूर्णा तिथि है। सोम का नक्षत्र हस्त भी विद्यमान है और सिद्धि योग के साथ-साथ वर्ष की श्रेष्ठ पंचमी यानी नाग पंचमी भी है।

सावन का चौथा सोमवार

सावन का चौथा और अंतिम सोमवार 12 अगस्त को है। इस दिन भी सोम प्रदोष व्रत है। इस दिन शिव-पार्वती साथ-साथ पृथ्वी पर विचरण करेंगे। अत: इस दिन रुद्राभिषेक करने से सारे मनोरथ सफल होंगे। 

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