लखनऊ में “लोकसत्ता” के संपादक के खिलाफ मुक़द्दमा

· मु॰अ॰सं॰ 0584/17 धारा 153B व 505 के तहत अधिवक्ता प्रशांत कुमार ने हजरतगंज थाने में दर्ज कराई एफआईआर
· मदर टेरेसा के बारे में बेअदबी व देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए एक बड़े खतरे का आरोप 

लखनऊ 24 जुलाई. अग्रणी मराठी अख़बार में प्रकाशित एक लेख में ईसाई धर्म की निंदा, संत मदर टेरेसा के बारे में बेअदबी, देश के राजनीतिक नेतृत्व के पूरे वर्ग के खिलाफ झूठे प्रचार, देश की धार्मिक और जातीय तंत्र के लिए खतरा, विदेशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध को खतरे में डालने, नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सरकार के प्रति असंतोष और नाराजगी भड़काने का प्रयास तथा भारत सरकार दूसरे देशों और विदेशी संस्थानों जैसे वैटिकन सिटी के रोमन कैथोलिक चर्च के हाथों की कठपुतली आदि जैसे आरोपों को लगाते हुए याचिका कर्ता लखनऊ उच्च न्यायालय के मशहूर अधिवक्ता प्रशांत कुमार ने लोकसत्ता के संपादक श्री गिरीश कुबेर के विरुद्ध लखनऊ के हजरतगंज थाने मे मुक़द्दमा दर्ज कराया है ।

संपादक गिरीश कुबेर के खिलाफ मुक़द्दमा

प्रशांत कुमार का आरोप अग्रणी मराठी अख़बार में प्रकाशित एक लेख के संबंध में औपचारिक रूप से एक शिकायत दर्ज करने के संबंध में है। यह लेख संपादकीय स्तंभ के रूप में है। इस समाचारपत्र का नाम “लोकसत्ता” है जो इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का एक भाग है, और जिसके संपादक श्री गिरीश कुबेर हैं। उनका कार्यालय एक्सप्रेस टावर्स, नरीमन प्वाइंट, मुंबई -400021 में है। यहाँ पर मराठी भाषा में इस समाचारपत्र में प्रकाशित किए गए लेख की एक प्रतिलिपि तथा कथित लेख का अङ्ग्रेज़ी अनुवाद संलग्न (संलग्नक 1) किया जा रहा है।

– शिकायतकर्ता लखनऊ में अभ्यासरत वकील है। धार्मिक विश्वास वाला व्यक्ति होने के नाते, कथित लेख से उसकी भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। शिकायतकर्ता का पूरा पता और अन्य संपर्क विवरण इस शिकायत के बाद के भाग में प्रदान किया गया है।

-यह प्रस्तुत किया गया है कि इस लेख में सामान्यतः ईसाई धर्म की निंदा की गई है, और विशेष रूप से संत मदर टेरेसा के बारे में बेअदबी से बात की गई है। इसके अतिरिक्त, यह असत्यापित और कभी भी साबित न होने वाले दावे के आधार पर गलत बयान का प्रदर्शन करते हुए देश के राजनीतिक नेतृत्व के पूरे वर्ग के खिलाफ झूठे प्रचार में शामिल है। इस लेख में जानबूझकर उत्तेजक सामग्री डाली गई है, धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों, चिन्हों और नेताओं को आगामी घटनाओं की वास्तविकता के पूर्वाग्रह के बिना नाराज किया गया है, यह प्रस्तुत किया गया है कि बाद के पैराग्राफ में विशेष उदाहरणों का वर्णन किया गया है जिससे यह लेख हमारे देश की धार्मिक और जातीय तंत्र के लिए खतरा ही नहीं है बल्कि यह गंभीर रूप से विदेशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध को खतरे में डालता है।

-संलग्नक में निहित उद्धरण (पूर्ण नहीं बल्कि केवल अर्थपूर्ण) लेखक की तरफ से तथा भारत के विभिन्न वर्गों के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं के प्रकाशक के लिए दुर्भावनापूर्ण साबित होंगे। यह लेख इस देश के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और उन्हें नाराज करने का अपमानजनक एवं जानबूझकर किया गया एक गलत प्रयास है। यहां पर शिकायतकर्ता, भारत के नागरिकों के एक बड़े वर्ग के साथ, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले इस दुर्भावनापूर्ण लेख से अप्रसन्न है।

– कथित लेख में निहित बयान जो जानबूझकर इस देश के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच घृणा और दुश्मनी पैदा करने की कोशिश करता है, जिसे सर्वश्रेष्ठ रूप से अफवाह फैलाने वाला बयान कहा जा सकता है और सबसे बुरी बात यह है कि “इस प्रकार के धार्मिक नेता मानवता के लिए सभी धर्मों के केवल योगदान हैं” उद्धरण ईश्वर की निंदा करते हैं। चाहे यह बालाजी हो जो लड़का के लिए गर्भ संस्कार बेचता है या बाबा या बापू हो जो स्वयं को राम, छोटे भाई लक्ष्मण, और उनकी हीरे-जवाहरात से लदी सीता का अवतार कहता है और अपने बौद्धिक रूप से अक्षम भक्तों का आर्थिक और यौन शोषण करता है।

यह प्रस्तुत किया गया है कि ये बयान अकादमिक शोध और धारणा के परिणाम नहीं हैं, न ही इन्हें अच्छे इरादे से बनाया गया है, ये गलत बयान गलत उपमा देते हैं तथा क्रिस्टोफर हिचेंस जैसे लेखक को मुद्दे से बाहर कर देते हैं और इन्हें इसमें देश में पाई जाने वाली सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक वास्तविकताओं की पूर्णतया अवहेलना की गई है, जिसमें नेकनीयती से कार्य करने वाले बुद्धि सम्पन्न व्यक्ति के लिए यह जानना जरूरी है कि धार्मिक नफरत की ये भावनाएँ लोगों को हिंसा करने के लिए उकसा सकती हैं। गैर जिम्मेदार और जानबूझकर लिखा गया यह लेख समाचारपत्र में प्रकाशित हुआ है। इस प्रकार यह समाचारपत्र हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न करता है, क्योंकि यह हमारे देश के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं पर क्रूर हमला है।

– इसमें सरकार के प्रति असंतोष और नाराजगी भड़काने का प्रयास किया गया है। भारत में स्थापित कानून और इस देश के सम्माननीय राजनेताओं के खिलाफ व्यंग्य करते हुए और लांछन लगाते हुए यह प्रस्तुत किया गया है कि पाठक निम्नलिखित बयानों को इस तथ्य का संकेत मानेंगे कि भारत सरकार दूसरे देशों और विदेशी संस्थानों जैसे वैटिकन सिटी के रोमन कैथोलिक चर्च के हाथों की कठपुतली है और अंधविश्वास, उपेक्षा तथा अवैज्ञानिक स्थिति पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। यह लेख भारतीय प्रशासनिक एवं कानूनी अनुभव के बारे में असंतोष तथा नफरत फैलाने के एक स्पष्ट प्रयास की तरफ संकेत करेगा।

-लोकसत्ता समाचारपत्र का महाराष्ट्र में व्यापक वितरण होने के अतिरिक्त इस लेख को इंटरनेट पर कई साइटों पर प्रकाशित किया गया है तथा अभी भी उन वेबसाइट पर इसे प्रसारित किया जा रहा है। इन वेबसाइट में निम्नलिखित वर्ल्ड वाइड वेब लिंक शामिल है- http://www.opindia.com/2016/03/translated-the-editorial-on-mother-teresa-for-which-a-marathi-newspaper-had-to-apologize/ .

– इस लेख में सेंट मदर टेरेसा पर विशेष और क्रूर हमला राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक घृणा तथा हिंसा फैलाने का जानबूझकर किया गया प्रयास है तथा नेकनीयती से कार्य करने वाले किसी भी व्यक्ति को यह जानना चाहिए कि सेंट मदर टेरेसा को इस देश के सभी राज्यों में तथा पूरे विश्व में रहने वाले लाखों लोगों द्वारा धार्मिक प्रतीक माना जाता है। वास्तव में यह स्पष्ट है कि इस लेख की कुटिल डिजाइन और इस लेख का गैर-जिम्मेदराना प्रकाशन पहले से ही धार्मिक असामंजस्य फैलाने वाले असामाजिक तत्वों द्वारा इस्तेमाल करना शुरू हो गया है।

giris kuber

-इस पुलिस थाना के पास इस शिकायत की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार है क्योंकि इन लेखों को पहली बार इस पुलिस थाना के स्थानीय प्रादेशिक अधिकार क्षेत्र के भीतर वर्ल्ड वाइड वेब पर पढ़ा गया है।
अतः इस मामले में उचित कार्यवाही की जाए।

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