युवक प्रियतम को रिझाने के लिए पान के बीड़े, चूड़ी, फीता, पटका आदि का भी सहारा लेते हैं। धुरवा जनजाति के युवक बांस से बनी खूबसूरत टोकरियों तथा बांस की कंघी भेंट करते हैं। बदले में युवतियां सुनहरे चांदी जैसे रंग की पट्टियों वाली लकड़ी की कुल्हाड़ी देकर इसका जवाब देती हैं यदि दोनों पक्ष इन उपहारों को स्वीकार कर लें तो गांव में जाकर धूमधाम से विवाह हो जाता है।
अबूझमाडिया युवती प्रेम को जाहिर करने के लिए बालों में सजे मूंगे और मोतियों से बनी माला को प्रेमी के गले में डाल देती हैं। एक बार माला डाल दी यानी कि जीवनसाथी चुन लिया। इसके बाद दोनों का विवाह होता है और दोनों विवाहित जीवन का आनन्द लेते हैं। हालांकि यहां वेलेंटाइन के अलावा भी साल के किसी भी मौके पर विवाह कर सकते हैं। लेकिन रोमांस का महीना होने के कारण सबसे ज्यादा विवाह फरवरी माह में ही होते हैं।