लॉकडाउन में मौत की तरफ बढ़ रहे हैं तमाम गरीबों के कदम

प्रमुख संवाददाता

कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ने पहले जनता कर्फ्यू और उसके बाद देश भर में लॉक डाउन कर दिया। लॉक डाउन के ज़रिये इस वायरस की तेज़ रफ़्तार पर तो ब्रेक लगा दिया लेकिन रोज़ कमाने और रोज़ खाने वालों की ज़िन्दगी दूभर हो गई। केन्द्र और राज्य सरकारों के अलावा स्वयंसेवी संस्थाओं ने हालांकि ज़रूरतमंदों का पेट भरने के हर संभव उपाय भी किये लेकिन इसके बावजूद दुश्वारियां हैं कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक ऐसे परिवार का पता चला है जिसके पास राशनकार्ड न होने की वजह से उसे कोटेदार ने राशन देने से मना कर दिया था इस वजह से पूरे परिवार को चार दिन तक सिर्फ पानी पीकर गुज़र-बसर करनी पड़ी।

गुरुग्राम में एक परिवार के सामने भूख की वजह से जब दम तोड़ने की नौबत आ गई तब उस परिवार के मुखिया ने अपना मोबाइल फोन बेचकर राशन का सामान खरीदा। उसके घर में जब खाना बनना शुरू हुआ तो उसके सामने इस चिंता का पहाड़ खड़ा हो गया कि यह पैसे खत्म हो जायेंगे तब वह क्या करेगा। यही सोचकर वह इतना परेशान हुआ कि उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की बात करें तो राशन की दुकानों में तेज़ धूप के बावजूद लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हैं। कई घंटे तक तेज़ धूप में खड़ी एक महिला भूख और प्यास से बेहाल होकर गिर पड़ी। उसके गिरते ही लोग दौड़े. उसे होश में लाने के लिए उसके मुंह पर पानी के छींटे मारे और उसे होश में लाने की कोशिश की। जब वह होश में नहीं आयी तो उसे अस्पताल ले जाया गया। जहाँ उसने दम तोड़ दिया।

बात जौनपुर की करें तो झोपड़पट्टी में रहने वाला रामाश्रय का परिवार मजदूरी करके गुज़र-बसर करता है। लॉक डाउन के बाद मजदूरी मिलनी बंद हो गई और कुछ ही दिन में सारा पैसा खत्म हो गया। हालात ऐसे हो गए कि इस परिवार को चार दिन तक सिर्फ पानी पीकर अपनी जान बचानी पड़ी। अंतत: उसके घर तक मदद पहुँच गई और परिवार की जान जाने से बच गई।

बदायूं जिले के थाना कुंवर गाँव क्षेत्र में राशन की दूकान पर लम्बी लाइन में राशन लेने के लिए खड़ी 35 वर्षीय शमीम बानो तीन घंटे तक तेज़ धूप में खड़ी रही तो भूख और प्यास से बेहाल हो गई। अचानक वह बेहोश होकर गिर पड़ी तो क्षेत्रीय लोगों ने उसे होश में लाने की काफी कोशिश की। उस पर पानी छिड़का।

हवा देकर उसे होश में लाने की कोशिश की। वह होश में नहीं आयी तो अस्पताल भी ले जाया गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।महिला की मौत की जानकारी पर डीएम कुमार प्रशांत ने मौके पर जिला पूर्ति अधिकारी को भेजा. मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। यह संभावना जताई जा रही है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया था।

लॉक डाउन के बाद मजदूरों का पलायन काम छिन जाने और पास में पैसा नहीं होने की वजह से ही हुआ था। जो मजदूर जहाँ के तहां रुके हुए हैं उनके सामने मुसीबतों के पहाड़ खड़े हैं। हरियाणा के गुरुग्राम में मजदूरी करने वाले बिहार के छबु मंडल की सारी जमा पूंजी जब खत्म हो गई तो उसने ढाई हज़ार रुपये में अपना मोबाइल फोन बेचकर राशन का सामान खरीद लिया।

मोबाइल बेचकर उसने राशन तो जुटा लिया लेकिन इस चिंता ने पीछा नहीं छोड़ा कि यह पैसा खत्म होने के बाद वह अपने माँ-बाप, पत्नी और बच्चो का पेट कैसे भरेगा। फिलहाल तो काम मिलने से रहा। इस चिंता में वह इतना दुखी हुआ कि उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।

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