राजस्थान निकाय चुनाव के लिए काउंटिंग जारी, जानें बीजेपी कांग्रेस में कौन है आगे…

राजस्थान में विधानसभा चुनाव में हार के बाद सत्ता गंवाने वाली भाजपा को निकाय चुनाव में भी बड़ा झटका लगता नजर आ रहा है। भरतपुर, फलौदी, कैथून, बीकानेर, माउंटआबू, डीडवाना, कोटा, झुंझनू की ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार जीत हासिल कर चुके हैं। माउंट आबू में भी भाजपा का लगभग सूपड़ा साफ हो गया है। यहां 25 सीटों में से 18 सीटों पर कांग्रेस ने जीता हासिल कर ली है। ऐसे में कांग्रेस का बोर्ड बनना तय है। अभी तक घोषित परिणामों में 223 सीटों पर भाजपा और 299 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। वहीं 111 सीटों पर निर्दलीय, चार पर बसपा और दो पर माकपा ने जीत दर्ज की है। हालांकि अजमेर और पुष्कर में भाजपा द्वारा अच्छा प्रदर्शन करने की जानकारी भी सामने आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सूरतगढ़ और भरतपुर में भी कांग्रेस के अधिकतम उम्मीदवार जीत गए हैं। ऐसे में इन जगहों पर भी कांग्रेस का बोर्ड बनना लगभग तय माना जा रहा है। राजस्थान निकाय चुनाव से पल-पल के लाइव अपडेट्स जानें।

तीन बडे नगर निगमों की बात करें तो उदयपुर में भाजपा और बीकानेर में भाजपा को और भरतपुर में कांग्रेस आगे नजर आ रही है।

पुष्कर और ब्यावर में भाजपा को बहुमत मिला है, वहीं कोटा कैथून और सांगोद में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ है।

उदयपुर नगर निगम चुनाव में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया के रिश्तेदार अतुल चंडालिया और कांग्रेस की पूर्व मंत्री गिरिजा व्यास की भतीजा बहू हिमांशी शर्मा को हार का सामना करना पड़ा है।

जानें क्यों संजय राउत ने कहा, पवार को समझने में लगेंगे कई जन्म

बांसवाड़ा के वार्ड नंबर 2 से भाजपा के धनेश राववत जीते, वहीं वार्ड 3 से कांग्रेस के गोविंद गुर्जर ने जीत हासिल की है। वार्ड 5 और वार्ड 6 से भी कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कलाल और प्रह्लाद सिंह राव जीत गए हैं।

राजस्थान के 49 नगर निकाय के लिए 16 नवंबर (शनिवार) को वोटिंग हुई थी। 49 में से 28 नगर पालिका, 18नगर परिषद और 3 नगर निगम शामिल हैं। इन सभी निकायों में 30 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। 49 नगर निकायों से 2 हजार से ज्यादा पार्षद पदों के लिए मतगणना 8 बजे से शुरू हो गई है। बता दें कि 26 नवम्बर को निकाय अध्यक्षों का चुनाव होगा और निर्वाचित पार्षद निकाय अध्यक्ष चुनेंगे, वही 27 नवम्बर को उपाध्यक्षो का चुनाव होगा। परिणम घोषित होने के साथ ही कांग्रेस और भाजपा ने अपने विजयी प्रत्याशियों की घेराबंदी भी शुरू कर दी है ताकि निकाय अध्यक्ष के चुनाव तक किसी तरह का दल बदल या क्राॅस वोटिंग की सम्भावना न रहे।

Back to top button