महाराष्ट्र में 10 दिन बाद भी सरकार पर सस्पेंस, जानें क्या होने वाला है आगे

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर सस्पेंस जारी है. 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद रविवार को 10 दिन हो गए, लेकिन राज्य में किसकी सरकार बनेगी यह अब तक साफ नहीं हो पाया है. एक ओर जहां शिवसेना 50-50 फॉर्मूले पर अड़ी हुई है तो वहीं बीजेपी इसपर राजी होने को तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री को लेकर शिवसेना और बीजेपी में 10 दिन से जारी खींचतान के बीच एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन को भी महाराष्ट्र में उम्मीदें दिखने लगी हैं.

महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार बनाने के लिए पार्टी को शिवसेना का समर्थन करना चाहिए. हालांकि कांग्रेस और शिवसेना अकेले सरकार तो नहीं बना सकतीं, इसके लिए एनसीपी को भी साथ आना जरूरी होगा. एनसीपी को साथ लाने के लिए कांग्रेस को एसीपी प्रमुख को राजी करना पड़ेगा, क्योंकि शरद पवार कह चुके हैं कि उनकी पार्टी को विपक्ष में बैठने के लिए जनता ने चुना और ऐसे में वह विपक्ष में ही बैठेंगे.

शिवसेना की ओर से जारी बीजेपी के खिलाफ हर बयान एनसीपी-कांग्रेस को राहत की सांस देता है. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने रविवार को सामना में लिखा कि बीजेपी को ईडी, पुलिस, पैसा, धाक के दम पर अन्य पार्टियों के विधायक तोड़कर सरकार बनानी पड़ेगी.

उन्होंने साफ किया कि बीजेपी के सामने शिवसेना घुटने नहीं टेकेगी. शिवसेना की ओर से बीजेपी पर बयानों का तीर  नतीजों के बाद से जारी है. शनिवार को ही शिवसेना ने बीजेपी के राष्ट्रपति शासन वाले बयान पर पलटवार किया गया. सामना में पूछा गया कि राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं क्या.

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बता दें कि महाराष्ट्र सरकार में वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने शुक्रवार को कहा था कि अगर राज्य में सात नवंबर तक नई सरकार नहीं बनती है तो यहां राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. इसके अलावा शिवसेना बीजेपी को यह भी बताती रही है कि उसके पास और भी विकल्प हैं.

शिवसेना अगर विकल्प की बात कर रही है तो जाहिर है पार्टी की ओर से खिचड़ी पक रही है, क्योंकि गुरुवार को ही पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके घर पर जाकर मुलाकात की थी. हालांकि बाद में शरद पवार ने कहा था कि संजय राउत से मुलाकात हुई, लेकिन शिवसेना को लेकर बात नहीं हुई. राउत से मुलाकात के बाद ही उन्होंने साफ किया था उनकी पार्टी विपक्ष में बैठेगी.

क्या शिवसेना को समर्थन देगी कांग्रेस?

चुनाव में 44 सीट जीतकर कांग्रेस हताश हो चुकी थी. लेकिन बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी जंग के बाद से उसकी उम्मीद जिंदा हो गई. नतीजों में जैसे ही साफ हुआ कि बीजेपी बहुमत से दूर है उसके बाद कांग्रेस भी एक्टिव हो गई. महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं की ओर से बयान आने लगा कि अगर शिवसेना हमारे पास समर्थन मांगने आती है तो हम उसपर विचार करेंगे.

महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता सरकार बनाने के लिए शिवसेना को समर्थन देने को तैयार है, लेकिन पार्टी नेतृत्व जल्दबाजी में नहीं है. शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे अपने जीवनकाल में कांग्रेस पर आक्रामक और हमलावर रहे हैं, लिहाजा कांग्रेस किसी भी विकल्प की ओर फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है.

शुक्रवार को शिवसेना के साथ संभावित दोस्ती पर चर्चा करने के लिए महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने आए थे. बालासाहेब ठाकरे के दौर का शिवसेना देख चुकी सोनिया गांधी इस राजनीतिक गठबंधन को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं, उन्होंने पार्टी नेताओं को ‘वेट एंड वाच’ की पॉलिसी पर काम करने को कहा है. ऐसे में क्या कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देगी यह भी बड़ा सवाल बना हुआ है.

नतीजों के बाद से ही साफ था कि शिवसेना बनाएगी दबाव

चुनावी नतीजों में जैसे ही ये साफ हुआ कि बीजेपी बहुमत से काफी दूर है उसके बाद राजनीतिक विश्लेषक मानने लगे थे कि शिवसेना अब बीजेपी की परीक्षा लेगी. शिवसेना को ओर से नतीजों के बाद से बीजेपी पर दबाव बनाना जारी है. हालांकि बीजेपी का मानना है कि वह सबसे बड़ी पार्टी है और उसे विश्वास भी है कि वह राज्य में सरकार बना सकती है.

बीजेपी ने तो शपथग्रहण के लिए मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम भी बुक कर लिया है. हालांकि अभी बीसीसीआई की ओर से अनुमति नहीं मिली है. अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी 2014 की तरह राज्य में सरकार बनाएगी. क्योंकि तब 122 सीट जीतने वाली बीजेपी एनसीपी के बाहरी समर्थन से सरकारी बना ली थी. हालांकि बाद में शिवसेना सरकार में शामिल हो गई थी.  

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