मध्यप्रदेश चुनाव: गोविंदपुरा से ससुर की राजनीतिक विरासत को संभालने मैदान में उतरी कृष्णा गौर

मध्य प्रदेश के चुनावी रण में शह और मात का खेल शुरू हो चुका है. इस बार किसका पलड़ा भारी रहेगा ये तो विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद ही पता चलेगा. हालांकि, प्रदेश में सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोर-आजमाइश का दौर जारी है. भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है, इस क्षेत्र से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर पिछले 50 सालों से जुड़े हैं. इस बार पार्टी ने बीजेपी की प्रदेश मंत्री एवं बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है. गोविन्दपुरा विधानसभा सीट पर बाबूलाल गौर साल 1977 से विधायक है और इस बार कृष्णा गौर इस सीट पर अपने ससुर बाबूलाल गौर की राजनीतिक विरासत को संभालने उतरी हैं. 

भोपाल की मेयर रह चुकी है कृष्णा गौर
कृष्णा गौर इससे पहले भोपाल की मेयर भी रह चुकीं हैं. इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर ने बगावती तेवर अपना लिए थे. उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें या उनकी बहू को भोपाल के गोविंदपुरा सीट से टिकट नहीं मिला, तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. इसके बाद टिकट वितरण में उनकी बहू कृष्णा गौर को टिकट दिया गया. 

कांग्रेस से गिरीश शर्मा मैदान में
कृष्णा गौर शिवराज सरकार के विकास के नाम पर मतदाताओं से वोट मांग रही है. वहीं, कांग्रेस ने युवा चेहरे पर दांव लगाते हुए पार्षद गिरीश शर्मा को मैदान में उतारा है. गिरीश शर्मा अपने सुलभ एवं सौम्य व्यवहार की वजह से मजबूत दावेदार माने जाते हैं.

कौन हैं बाबूलाल गौर
बाल काल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे बाबूलाल गौर राष्ट्रीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्यों में से रहे हैं. 1956 में जन संघ के सचिव रहे गौर आपातकाल के दौरान भी काफी सक्रिय रहे. इस दौरान उन्हें 19 महीने हिरासत में भी रखा गया था. 1974 में भोपाल दक्षिण सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले गौर 1977 से लगातार गोविंदपुरा सीट से विधायक हैं. इस सीट से गौर ने 2013 तक लगातार 7 बार चुनाव जीता है और अब इसका कार्यकाल भी पूरा होने वाला है.

राजनीतिक का है लंबा अनुभव
मध्य प्रदेश की गद्दी पर बैठने से पहले बाबूलाल गौर के पास एक लंबा राजनीतिक अनुभव हो चुका था. वे 2002-03 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभा चुके थे. उमा भारती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान जब कुछ विवाद पैदा हुआ तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भारती की जगह कद्दावर नेता बाबूलाल गौर को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया. हालांकि गौर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ज्यादा दिन रह नहीं पाए और पार्टी ने साल भर के अंदर ही उनकी जगह शिवराज सिंह चौहान के हाथों मध्य प्रदेश की बागडोर थमा दी.

PM मोदी ने मंच से किया था बड़ा ऐलान
सितंबर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन के मौके पर बीजेपी ने भोपाल में एक बड़ा आयोजन किया था. इसमें प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता मौजूद थे. इस जनसभा के दौरान पीएम मोदी ने बाबूलाल गौर का हाथ थाम कर कहा था कि ‘बाबूलाल गौर एक बार और..’

64 साल में पहला महिला चेहरा
गोविन्दपुरा विधानसभा सीट से बीजेपी से इस बार बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को मैदान में उतारा है. 64 साल के इतिहास में भोपाल से एक भी महिला चेहरा विधानसभा तक नहीं पहुंचा है. ऐसा नहीं है कि यहां से महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया गया, लेकिन सच ये रहा कि महिलाओं को मिले सीमित अवसर जीत में परिवर्तित नहीं हो सके. अगर यहां से इस बार बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर जीतती हैं, तो 64 साल के इतिहास में ये पहली बार होगा कि कोई महिला चेहरा विधानसभा पहुंचेगा. 

क्या कहते हैं 2013 के चुनावी नतीजे
मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं. 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं. 

28 नवंबर को होगा मतदान
मध्यप्रदेश की सत्तासीन शिवराज सिंह चौहान की सरकार का कार्यकाल 7 जनवरी 2019 में खत्म हो रहा है. चुनाव आयोग की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, राज्य में 28 नवंबर को मतदान होगा और 11 दिसंबर को वोटों की गिनती होगी.

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