बौद्ध धर्म के ये 5 प्रसिद्ध स्थल, शांत जगह पर जाना चाहते हैं तो जरूर जाएँ

हमारे देश में हर धर्म को समान आदर दिया गया हैं, तभी तो देश को विविधताओं में एकता के लिए जाना जाता हैं. जिस तरह देश में सभी धर्म अपना महत्व रखते हैं, उसी तरह ही बौद्ध धर्म भी देश में अपना विशेष महत्व रखता हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जो बौद्ध धर्म के अनुयायी बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध को अपना इष्ट मानते हैं और उनके वचनों पर जीवन-यापन करते हैं. अगर आप जाना चाहते हैं तो इन जगहों पर जरूर जाएँ. आज हम आपको बौद्ध धर्म के ये प्रसिद्ध स्थल बताने जा रहे हैं, जहां जाने पर मन को संतुष्टि और शांति की प्राप्ति होती हैं.

* लुम्बिनी
गौतम बुद्ध का जन्म यहीं हुआ था. यहां के प्राचीन विहार नष्ट हो चुके हैं. केवल अशोक का एक स्तम्भ है, जिस पर खुदा है- ‘भगवान् बुद्ध का जन्म यहां हुआ था.’ इस स्तम्भ के अतिरिक्त एक समाधि स्तूप भी है, जिसमें बुद्ध की एक मूर्ति है. नेपाल सरकार द्वारा निर्मित दो स्तूप और हैं.

* सारनाथ
बनारस छावनी स्टेशन से 5 मील, बनारस-सिटी स्टेशन से 3 मील और सड़क मार्ग से सारनाथ 4 मील पड़ता है. यह बौद्ध-तीर्थ है. भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था. यहीं से उन्होंने धर्मचक्र प्रवर्तन प्रारंभ किया था. सारनाथ में बौद्ध-धर्मशाला है.

* कुशीनगर 
गोरखपुर जिले में कसिया नामक स्थान ही प्राचीन कुशीनगर है. यहां खुदाई से निकली मूर्तियों के अतिरिक्त माथाकुंवर का कोटा ‘परिनिर्वाण स्तूप’ तथा ‘विहार स्तूप’ दर्शनीय हैं. 80 वर्ष की अवस्था में बुद्ध ने दो साल वृक्षों के मध्य यहां महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था. यह प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ है.

* सांची का स्तूप
भोपाल से 28 मील दूर और भेलसा से 6 मील पूर्व सांची स्टेशन है और उदयगिरि से सांची पास ही है. यहां बौद्ध स्तूप हैं, जिनमें एक की ऊंचाई 42 फुट है. सांची से 5 मील सोनारी के पास 8 बौद्ध स्तूप हैं और सांची से 7 मील पर भोजपुर के पास 37 बौद्ध स्तूप हैं.

* चांपानेर (पावागढ़) 
पश्चिम रेलवे की मुंबई-दिल्ली लाइन में बड़ौदा से 23 मील आगे चांपानेर रोड स्टेशन है. चांपानेर रोड से 12 मील पर पावागढ़ स्टेशन है. इस स्टेशन से पावागढ़ बस्ती लगभग एक मील दूर है. बड़ौदा या गोधरा से पावागढ़ तक मोटर-बस द्वारा भी आ सकते हैं. पावागढ़ में प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप हैं.

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