बेवजह गाड़ी का हाॅर्न बजाना अब दंडनीय अपराध, सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी

मुंबई.राज्य सरकार वाहनों से पैदा होनेवाले शोर को नियंत्रित करने को लेकर बेहद गंभीर है। सरकार बेवजह गाड़ी के हाॅर्न बजाने को दंडात्मक अपराध बनाने की तैयारी में है। इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी है बस राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी बाकी है। गुरुवार को हलफनामा दायर कर राज्य सरकार के वकील ने बाॅम्बे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। गृह विभाग के उपसचिव विज पाटील ने यह हलफनामा सामाजिक कार्यकर्ता महेश बेडेकर की ओर से दायर जनहित याचिका में अदालत की ओर से दिए गए निर्देश के तहत दायर किया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि सरकार ने राज्य के 27 शहरों की नाइज मैपिंग करने की योजना बनाई है। इसके लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का सहयोग लिया जाएगा।
बेवजह गाड़ी का हाॅर्न बजाना अब दंडनीय अपराध, सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी
 
नागपुर सहित 10 शहरों की होगी नॉइज मैपिंग
पहले चरण में 10 शहरों की नॉइज मैपिंग की जाएगी। जिसमें नागपुर का समावेश है। वाहनों से होनेवाले शोर पर नजर रखने के लिए सरकार अलग से नॉइज मानिटरिंग स्टेशन बनाने की तैयारी में है। गाड़ी के साइलेंसर को लेकर छेड़छाड करनेवाले को भी नहीं बख्शा जाएगा। उनका रजिस्ट्रेशन रद्द करने पर भी विचार होगा। वाहनों के शोर को नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। सरकार ध्वनि प्रदूषण से होनेवाले दुष्प्रभावों से अवगत कराने के लिए जागरुकता अभियान भी चलाएगी। इसके लिए अलग से निधि की व्यवस्था की जाएगी। स्कूलों में बच्चों को ध्वनि प्रदूषण से होनेवाले दुष्परिणाम के बारे में बताने के लिए शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए हैं। ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर अदालत की ओर से दिए गए निर्देशों के पालन को लेकर सरकार बेहद गंभीर है।

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महाराष्ट्र विधानसभा ने महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट एंड रोड सेफ्टी एक्ट 2017 विधेयक पारित किया है। जो राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति आरवी मोरे की खंडपीठ ने हलफनामे पर गौर करने के बाद मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
 
चार महीने बाद भी जेलों में क्यों नहीं उपलब्ध हुईं बुनियादी सुविधाएं
उच्च न्यायालय ने सरकार के रवैये पर जताई नाराजगी
बाॅम्बे हाईकोर्ट ने जेल में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर अदालत की ओर से दिए गए आदेश का पालन न किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि हमने सरकार को 6 महीने का समय दिया था लेकिन इसमें से चार महीने बीत चुके हैं। सरकार के रुख को देखकर महसूस होता है कि अगले 6 महीने में भी न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया जाएगा। फिर भी हम सरकार को एक मौका दे रहे है यदि जेल में सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर उचित कदम नहीं उठाए गए तो हम न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी करेंगे। हाईकोर्ट ने सरकार को जेल में कैदियों को दिए जानेवाले खाने व वहां की स्वच्छता का जायजा लेने के लिए एक कमेटी बनाने को कहा था जिसमें आहार विशेषज्ञ व सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल करने के लिए कहा गया था।
 
लेकिन ऐसा लगता है सरकार ने सरकारी अस्पतालों में आहार विशेषज्ञ की उपलब्धता का सत्यापन किए बिना ही कमेटी का गठन कर दिया है।
 
हमने सरकार को हर जिले में ऐसी कमेटी के गठन का आदेश दिया है। इसके अलावा आदर्श जेल के निर्माण के लिए गठित कमेटी के सदस्यों को मानधन भी नहीं तय किया गया है। सरकार ने सभी जेलों में शौचालय स्नानगृह व अतिरिक्त बैरक बनाने को लेकर प्रभावी कदम नहीं उठाए है।
येरवडा जेल में बैरक बनाने का काम जारी
हालांकि सरकार ने अदालत में हलफनामा दायर कर कहा है कि पुणे की येरवडा जेल में बैरक बनाने का काम जारी है। कुछ शौचालयों के मरम्मत का कार्य पूरा कर लिया गया है। कुछ नए शौचालय बनाए गए है। इसके लिए जेल में महिला कैदियों को अपने 6 साल तक के बच्चों को अपने साथ रखने की अनुमति दी है। इसके साथ ही सरकार ने बड़े बच्चों के लिए बाल संगोपन योजना भी शुरू की है। सरकार ने आदर्श जेल के निर्माण के लिए सेवा निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित की है।
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