बर्फबारी से गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे 4 दिन से बंद, यातायात हुआ बाध्य

बारिश और बर्फबारी का सिलसिला थमने और जिला प्रशासन की ओर से युद्धस्तर पर कार्य करने के बावजूद ऊंचाई वाले इलाकों में रहने वाले लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हो पाई हैं। गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे समेत दो दर्जन से अधिक मोटर मार्ग चौथे दिन भी यातायात के लिए सुचारु नहीं हो सके हैं।

आलम यह है कि सुक्की टॉप से आगे बर्फ की मोटी चादर बिछी होने के कारण गंगोत्री हाईवे पर चौथे दिन भी यातायात बहाल नहीं हो सका। वहीं राडी टॉप-ओरछा बैंड के बीच जमा बर्फ के कारण यमुना घाटी का जिला मुख्यालय से संपर्क कटा है।

कई स्थानों पर पाला जमने से यमुनोत्री हाईवे के बड़कोट से जानकीचट्टी क्षेत्र के बीच वाहनों की आवाजाही जोखिम भरी बनी है। हाईवे के अलावा संकूर्णाधार-चौरंगीखाल, हर्षिल-मुखबा, रैथल, बार्सू, घनसाली-तिलवाड़ा, कुंवा-कफनौल, मोरी-नैटवाड़, आराकोट-भूटाणू, चिंवा-मोल्डा, आराकोट-चिंवा सहित 30 संपर्क मोटर मार्गों पर भी यातायात ठप पड़ा है।

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53 गांवों में पानी और 208 गांवों में नहीं बिजली

बर्फबारी से जलस्रोत जमने और पाइप लाइनें क्षतिग्रस्त होने के कारण मुखबा, हर्षिल, गोरसाली, लाटा, खरसाली, कुपड़ा, कफनौल, हलना, किमडार, करड़ा, लिवाड़ी, फिताड़ी, ओसला, गंगाड़, पावणी सहित कुल 53 गांवों में पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है। वहीं बिजली लाइनें क्षतिग्रस्त होने से मोरी ब्लॉक के 60, चिन्यालीसौड़ के 48, नौगांव के 35 और पुरोला के 15 गांवों सहित जिले के कुल 208 गांव अभी भी अंधेरे में हैं, जिस कारण इन गांवों में ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

इस बीच तमाम कठिनाइयों के बावजूद सभी संबंधित विभागों के कर्मचारी व्यवस्थाओं को सुचारु करने के लिए दिन रात जुटे हैं। उधर जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि अधिकांश क्षेत्रों में शुक्रवार देर शाम तक यातायात, बिजली और पेयजल आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी। जबकि अधिक बर्फ वाले इलाकों में शनिवार तक हालात सामान्य हो जाएंगे।

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