निर्यातकों को सस्ते कर्ज मुहैया कराने को लेकर बनेगा नियम, क्रेडिट स्कीम भी जल्द होगी जारी

निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा में सस्ते कर्ज उपलब्ध कराने को लेकर सरकार गंभीर है। इसके लिए जल्द ही सरकार दिशानिर्देश जारी करेगी। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार निर्यातकों को मिलने वाले कर्ज की धीमी रफ्तार को लेकर चिंतित है और इसे दुरुस्त करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। गुरुवार को बोर्ड ऑफ ट्रेड की बैठक में निर्यात कर्ज अहम मुद्दा रहा।

खासतौर पर एमएसएमई सेक्टर को मिलने वाले कर्ज में हो रही दिक्कत पर सभी ने चिंता जताई। गोयल ने कहा, ‘हम इस बात से चिंतित हैं कि कर्ज की रफ्तार घट रही है। इसे दुरुस्त करने के लिए सरकार जल्द एक कार्यक्रम लेकर आएगी, जो खासतौर पर एमएसएमई सेक्टर का मददगार साबित होगा।’ इस कार्यक्रम के तहत निर्यातकों को सस्ती दर पर विदेशी मुद्रा में कर्ज उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस कर्ज में ब्याज की दर चार परसेंट से भी नीचे हो सकती है।

गोयल ने कहा कि सरकार कई अन्य मुद्दों पर वित्त मंत्रलय के साथ बातचीत कर रही है। निर्यात कर्ज पर दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर अभी वित्त मंत्रलय की मंजूरी का इंतजार है। बैंकों के साथ विमर्श हो चुका है और वे इस प्रस्ताव से सहमत भी हैं। जल्दी ही इसके दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। दिशानिर्देश आरबीआइ ने वित्त और वाणिज्य मंत्रलयों के साथ मिलकर तैयार किया है।गोयल ने कहा कि अगले पांच साल में देश का निर्यात एक टिलियन डॉलर के पार हो जाएगा। वैसे भी 2018-19 में ही कुल निर्यात 537 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।

वाणिज्य मंत्री ने कहा कि जल्दी ही निर्यातकों के लिए एक क्रेडिट स्कीम भी आएगी जिसमें बीमा कवर को मौजूदा 60 परसेंट से बढ़ाकर 90 परसेंट करने का प्रावधान है। बोर्ड की बैठक के दौरान ही लीड्स इंडेक्स 2019 जारी किया गया। लॉजिस्टिक्स सेक्टर में गुजरात इस सूची में शीर्ष पर रहा है।

हालत अच्छी नहीं

वित्त वर्ष 2018-19 में निर्यात कर्ज वितरण 23 परसेंट घटकर 9.57 लाख करोड़ रुपये रह गया था। इससे पूर्व 2017-18 में 12.39 लाख करोड़ रुपये का निर्यात कर्ज बैंकों की तरफ से वितरित किया गया था।

राज्यों की उदासीनता स्वीकार्य नहीं

वाणिज्य मंत्री ने बैठक में राज्यों से कहा कि इस बैठक में उनकी भागीदारी के स्तर से ही तय होगा कि उन्हें केंद्र से कितनी मदद मिलेगी। गोयल ने कहा, ‘अगर राज्य के वरिष्ठ अधिकारी और मंत्री दोनों ही बैठक में नहीं हैं तो यह चिंता का विषय है। ऐसी स्थिति में मुझए संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री से बात करनी पड़ेगी। मुङो उम्मीद है जो राज्य दूसरी बार इस बैठक में अनुपस्थित रहे हैं, उन्हें संदेश मिल जाएगा।’

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