कांग्रेस बोली-‘जीरो गैस और लुट गया गुजरात का कैश’

कांग्रेस पार्टी ने गुजरात की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का काम किया है. कांग्रेस के दावे के मुताबिक बीजेपी सरकार के कार्यकाल में राज्य सरकार के खजाने को लगभग 19,576 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

कांग्रेस बोली-'जीरो गैस और लुट गया गुजरात का कैश'कांग्रेस के मुताबिक राज्य सरकार को यह नुकसान 2003 में लिए गए फैसले से हुआ है और खास बात है कि इस वक्त केन्द्र में बीजेपी सरकार के साथ-साथ राज्य में नरेन्द्र मोदी की सरकार थी. गुजरात चुनावों से पहले इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस ने बीजेपी द्वारा प्रचार किए जा रहे विकास के गुजरात मॉडल पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार के इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सफाई देनी चाहिए.    

कांग्रेस प्रवक्ता अजय कुमार ने केजी बेसिन में खनन के इस मामले पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूरे मामले पर सफाई मांगी है. केजी बेसिन में खनन का अधिकार गुजरात सरकार की कम्पनी गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कार्पोरेशन (जीएसपीसी) को 2003 में दिया गया था. मार्च 2003 में ही जीएसपीसी ने विदेशी कंपनी जियोग्लोबल रिसोर्सेस के साथ एक समझौता करते हुए 10 प्रतिशत हिस्सा उसे दे दिया गया था. 

जिसके बाद जीएसपीसी पर आरोप लगा था कि जियोग्लोबल का खनन में कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के उसे हिस्सेदार बनाया गया था. अब कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री का बयान कि न खाउंगा न किसी को खाने दूंगा महज एक जुमला है. कांग्रेस के मुताबिक राज्य में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय श्रोत खरीदने के दौरान अनियमितता बर्ती गई और सरकारी खजाने के बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है.

कांग्रेस का पहला सवाल

कांग्रेस ने कहा कि इस जीएसपीएल का 80 फीसदी शेयर ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने ऐसे वक्त में खरीदा जब केजी बेसिन में गैस की खोज हुई भी नहीं थी. इस शेयर को ओएनजीसी ने 7,738 करोड़ रुपये में खरीदा था. लिहाजा, कांग्रेस ने सवाल पूछा है कि 2005 के बाद केजी बेसिन में बिना गैस पाए क्यों ओएनजीसी ने जीएसपीएल के शेयर्स खरीदे थे? क्या यह खरीद के जरिए जीएसपीएल के घाटे को छिपाने की कोशिश की गई?   

कांग्रेस का दूसरा सवाल

 

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि इस डील के वक्त जीएसपीएल के जितने भी निदेशक थे उन्हें मौजूदा समय में केन्द्र सरकार द्वारा बड़े-बड़े पदों पर रखा गया है. कांग्रेस के मुताबिक इसमें केन्द्रीय रिजर्व बैंक के मौजूदा गवर्नर उर्तिज पटेल भी शामिल हैं क्योंकि जीएसपीएल-ओएनजीसी डील के वक्त वह जीएसपीएल के स्वतंत्र निदेशक केपद पर मौजूद थे. लिहाजा इस तत्थों के दावे के साथ कांग्रेस ने कहा कि यह पूरा मामला दिखाता है कि प्रधानमंत्री द्वारा प्रचार किए जा रहे गुजरात मॉडल की सच्चाई क्या है.

कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा कि जीएसपीएल के पास कुल 64 गैस ब्लॉक्स थे जिनमें से 11 ओवरसीज गैस ब्लॉक्स थे. इन्हीं 11 गैस ब्लॉक्स को सरेंडर करने पर अनियमितता देखने को मिलती है. कांग्रेस ने सीएडी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अकेले इन अनियमितताओं से राज्य सरकार को 1757 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा था.

कांग्रेस के मुताबिक जीएसपीसी में 20,000 करोड़ रुपये डूब जाने के बाद 4 अगस्त को भारत सरकार की नवरत्न कंपनी ओएनजीसी ने इस घाटा उठाने वाली कंपनी के 80 फीसदी शेयरों को 7,738 करोड़ रुपये में खरीद लिया.

बीजेपी की सफाई

कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर बीजेपी नेता और केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सफाई देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान देश को सबसे भ्रष्ट सरकार दी थी लिहाजा अब वह गुजरात चुनावों से पहले भ्रष्टाचार के बेबुनियाद मामले मैन्यूफैक्चर कर रही है. जेटली के कहा कि ठीक इसी तरह कांग्रेस पार्टी ने राफेल डील पर सवाल उठाया जबकि यह डील दो देशों की सरकार के बीच हुई है जिससे किसी तरह के भ्रष्टाचार का सवाल ही नहीं उठता. जेटली ने कहा कि अब कांग्रेस जीएसपीसी का मुद्दा उठा रही है.

कांग्रेस के आरोपों पर जेटली ने कहा कि जिस जगह जीएसपीसी को खनन का कॉन्ट्कैक्ट मिला था वहीं ओएनजीसी भी खनन कर रही थी. लेकिन जब इस प्रोजेक्ट में जीएसपीसी के लिए इकोनॉमिक वायबिलिटी नहीं बची तो एक सरकारी कंपनी से दूसरी सरकारी कंपनी के पास कॉन्ट्कैक्ट चला गया. लिहाजा इस मामले में भी किसी तरह के संदेह की संभावना नहीं है और कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है.

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