बैंकों ने उठाया बड़ा कदम, कर्ज में डूबी जेट एयरवेज की दोबारा उड़ान की उम्‍मीदें पूरी तरह से हई खत्‍म

कर्ज में डूबी जेट एयरवेज की दोबारा उड़ान की उम्‍मीदें अब समाप्‍त होती दिख रही है. दरअसल,  भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में बैंकों के ग्रुप ने जेट एयरवेज के भविष्‍य को लेकर बैठक की. इस बैठक में एयरलाइन को फिर खड़ा करने की अपनी ओर से की जा रही कोशिश छोड़ दी है. बैंकों के समूह ने जेट एयरवेज में फंसे अपने कर्ज के समाधान का मामला दिवाला संहिता के तहत कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में भेजने का फैसला किया है.

क्‍या है वजह

दरअसल, बैकों को अब तक के प्रयास में जेट एयरवेज के पुनरोद्धार के लिए किसी इकाई से कोई पुख्ता प्रस्ताव नहीं मिला है. एतिहाद-हिंदुजा गठजोड़ ने हालांकि एयरलाइन में रुचि दिखाई है लेकिन उसकी ओर से कोई पुख्ता प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है. इसी वजह से बैंकों की सोमवार को हुई बैठक में एयरलाइन के मामले को एनसीएलटी में भेजने का फैसला किया गया.

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बैठक के बाद एसबीआई ने बयान में कहा,  ”गहन विचार विमर्श के बाद कर्जदाताओं ने फैसला किया है कि दिवाला संहिता के तहत जेट एयरवेज के मामले का निपटान किया जाए. यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि संभावित निवेशक सौदे के तहत सेबी के कुछ छूट चाहता है. इस तरह का सौदा दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत बेहतर तरीके से हो सकता है.” एसबीआई ने कहा कि कर्जदाता ठप खड़ी विमानन कंपनी का समधान दिवाला संहिता (आईबीसी) से बाहर निपटाना चाहते थे, लेकिन अब आईबीसी के तहत ही निपटान का फैसला किया गया है.

बता दें कि बैंकों को एयरलाइन से 8,000 करोड़ रुपये की वसूली करनी है. वहीं जेट एयरवेज का परिचालन 17 अप्रैल से बंद है. इससे एयरलाइन के 23,000 कर्मचारियों का कई महीनों के वेतन का भुगतान नहीं किया जा सका है. साथ ही इससे हवाई किराये में औसतन 40 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है. यही नहीं, घरेलू एयरपोर्ट पर एयरलाइन के स्लॉट सरकार ने अन्य विमानन कंपनियो को दे दिए हैं. इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी उसके कुछ स्लॉट अन्य एयरलाइन को दिए गए हैं.

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