करीब 17 साल बाद बाल विवाह से मिली मुक्ति…

करीब 17 साल से बाल विवाह की बेड़ियों में बंधी जोधपुर ग्रामीण क्षेत्र की निवासी मैना को भी इस बार असली आजादी का अहसास हुआ है। महज दस माह की अबोध उम्र में 17 साल पहले हुए बाल विवाह के बंधन में बंधने वाली बालिका वधू मैना के विवाह को जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 के न्यायाधीश प्रदीप कुमार जैन ने निरस्त कर दिया है और इस फैसले से समाज को बाल विवाह के खिलाफ कड़ा संदेश दिया। इस मुहिम में जोधपुर का सारथी ट्रस्ट और पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती भी मैना के लिए मददगार साबित हुए।

पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती ने बताया कि जोधपुर जिले के ढाढणियां भायला गांव निवासी दैनिक मजदूर ठाकरराम की पुत्री 18 वर्षीय मैना का बाल विवाह 26 दिसंबर, 2001 को उदयसर गांव निवासी युवक के साथ समाज के दबाव में करवा दिया गया था। बाल विवाह के समय बालिका वधू मैना महज दस महीने की थी।

मैना की दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ सारथी ट्रस्ट की मदद से जोधपुर पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 में बाल विवाह निरस्त के लिए इसी साल फरवरी माह में वाद दायर किया था।

न्यायिक सुनवाई में मैना की ओर से डॉ. कृति भारती ने पैरवी कर न्यायालय को मैना के बाल विवाह निरस्त के तथ्यों और आयु संबंधी प्रमाणिक दस्तावेजों से अवगत करवाया। वहीं, काउंसलिंग में दोनों परिवारों की सहमति भी बन गई। जिसके बाद अदालत ने इस विवाह को पूर्णत निरस्त करने का आदेश सुनाकर समाज मे कड़ा संदेश दिया। अदालत के इस फैसले का मैना ने भी स्वागत किया है और इसे सही अर्थों में आजादी माना है।

इनका मददगार बना यह ट्रस्ट

सारथी ट्रस्ट और कृति भारती की ओर से पूर्व में भी बाल विवाह से जुड़े कई मामलों के निस्तारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है। उसके अलावा बालिकाओं के पुनर्वास और उनके शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भी ट्रस्ट के द्वारा राह दिखाई जाती है। बाल विवाह निरस्त करवाने के मामलों में डॉ. कृति भारती और ट्रस्ट का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड सहित कई रिकॉर्ड्स में दर्ज है।

जानें, किसने क्या कहा

बाल निरस्त होने के बाद अब मैं पढ-लिखकर भविष्य सवारूंगी। वास्तविक रूप से अभी आजादी का अहसास हो रहा है।

मैना , बाल विवाह पीड़ित।

आजादी के पर्व के समय मैना को भी बाल विवाह से असली आजादी मिली है। अब मैना के बेहतर पुनर्वास के प्रयास किए जा रहे हैं। जाति पंचों का दबाव होने के कारण अलग से न्यायिक कार्रवाई की जा रही है।

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