एम्स में होगी 305 डॉक्टरों की भर्ती, 10 से ज्यादा विभागों में डॉक्टर नहीं

भोपाल. एम्स में एक साल से अटकी डॉक्टर्स की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। जबलपुर हाईकोर्ट से सिंगल पोस्ट डिपार्टमेंट में आरक्षण लागू नहीं करने के फैसले के बाद यह मुमकिन होगा। अभी दस से ज्यादा विभागों में कोई डॉक्टर ही नहीं है। वर्ष 2016 में ही इन्हें यहां होना चाहिए।
एम्स में होगी 305 डॉक्टरों की भर्ती, 10 से ज्यादा विभागों में डॉक्टर नहीं
 
इन विभागों से जुड़े 250 से ज्यादा मरीज आज भी राेज अस्पताल आते हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब एम्स में ग्रुप ए के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर से प्रोफेसर स्तर तक के 305 पदों पर नियुक्ति होंगी। प्रबंधन लिखित परीक्षा और इंटरव्यू देने वाले डॉक्टर्स की मेरिट लिस्ट के अाधार पर अपॉइनमेंट लेटर जारी करेगा। रविवार को डिपार्टमेंट ऑफ डेंटिस्ट्री में एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर के स्वीकृत दो पदों के लिए लिखित परीक्षा हुई। इस प्रक्रिया को अब अगर कोर्ट में चैलेंज नहीं किया तो अगले छह महीने में यहां गंभीर बीमारियों के मरीजों को सुपर स्पेशिएलिटी ट्रीटमेंट मिलने लगेगा।

ये भी पढ़े: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने Ex भाजपा मंडल अध्यक्ष को जमकर पीटा, नाक से निकला खून

लिखित परीक्षा और इंटरव्यू की मेरिट में आए डाॅक्टरों की होगी नियुक्ति…
 
स्थिति…सवा साल से अटका मामला
मिनिस्ट्री आॅफ हेल्थ के अफसरों ने देश के सभी एम्स में फेकल्टी रिक्रूटमेंट में मार्च 2016 में रिजर्वेशन रोस्टर लागू किया था। भोपाल में फार्माकोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायलॉजी, न्यूरोलॉजी सहित कई विभागों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर का एक-एक पद था। इन विभागों में आरक्षण रोस्टर लागू करने के लिए सरकार ने फार्माकोलॉजी, पैथोलॉजी और माइक्रोबायलॉजी के पदों को क्लब कर दिया था।
 
प्रस्ताव…निरस्त करना पड़ा था विज्ञापन
संस्थान के तत्कालीन डायरेक्टर डॉ. संदीप कुमार ने मंत्रालय द्वारा दी गई व्यवस्था का विरोध किया था। उनकी दलील थी कि आरक्षण लागू होने से पद खाली रहेंगे। आरक्षित श्रेणी से इनकी पूर्ति नहीं होगी। इसके साथ ही उन्होंने सिंगल पोस्ट वाले विभागों में बिना आरक्षण डॉक्टर्स की भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। आरक्षित श्रेणी उम्मीदवारों ने इसका विरोध किया था। तब विज्ञापन निरस्त करना पड़ा था। बाद में नागरकर ने रोस्टर के मुताबिक नया विज्ञापन दिया था। इसके विरोध में तीन डॉक्टर हाईकोर्ट चले गए। उनकी दलील थी कि सिंगल पोस्ट के लिए आरक्षण होना ही नहीं चाहिए। मेरिट को ही प्राथमिकता होनी चाहिए।
 
निकाल रहे हैं रास्ता
प्रभारी डायरेक्टर डॉ. नितिन एम. डॉ. नागरकर के मुताबिक कोर्ट के फैसले की काॅपी नहीं मिली है। हम लीगल एडवाइज के लिए मंत्रालय को भेजेंगे। हाईकोर्ट के आदेश और सरकारी पॉलिसी के बीच किसी भी नियम पर विवाद की स्थिति न बने, इसके लिए नियम बनाकर 305 डॉक्टरों की भर्ती करेंगे।
 
पर्सनल प्रमोशन की बनाई स्कीम
मिनिस्ट्री आॅफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने आरक्षण नियमों के कारण एम्स के डॉक्टर्स की नौकरी छोड़ने की समस्या से निपटने के लिए पर्सनल प्रमोशन स्कीम बनाई है। इसके तहत संस्थान में कार्यरत उन डॉक्टरों को प्रमोशन दिया जाएगा, जिन्हें आरक्षण नियमों के कारण प्रमोशन देने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत हैं। इन डॉक्टर्स को प्रमोशन देने के लिए एम्स के अफसर संबंधित डॉक्टर की सीआर, मरीजों को दिए जा रहे इलाज की गुणवत्ता को आधार बनाएंगे।
 
डॉक्टरों के बिना अभी यह हाल
नेत्र, ह्दय रोग सर्जरी, पेट संबंधी बीमारियां, किडनी, कैंसर, रेडियोथैरेपी, न्यूक्लियर मेडिसिन, यूरोलॉजी, न्यूनेटोलॉजी, नाक-कान-गला समेत कई अहम विभागों में उपचार के लिए एक भी डॉक्टर नहीं है। जबकि इनसे जुड़े करीब ढाई सौ मरीज आते हैं। इनके परीक्षण दूसरे डॉक्टर करते हैं। एम्स में यह कमी उसकी स्थापित छवि के एकदम विपरीत है। नियुक्तियां होने से सीधी सुविधा मरीजों को होने वाली है। सारे ही विभाग काम करने लायक होंगे।
 
इन विभागों में स्पेशलिस्ट करेंगे इलाज
जनरल मेडिसिन, कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन, डर्मेटोलॉजी, सायकेट्री, जनरल सर्जरी, शिशु रोग विभाग, आर्थोपेडिक, आॅप्थेल्मोलॉजी, नाक कान गला रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग, रेडियोडायग्नोसिस, एनीस्थीसियोलॉजी , रेडियोथैरेपी, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेबिलेशन, कार्डियोलॉजी, डेंटिस्ट्री, न्यूरोलॉजी, गेस्ट्रोइंटोलॉजी, नेफ्रोलॉजी आदि।
 
मेडिकल अंकोलॉजी एंड हेमेटोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन, एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, सर्जीकल अंकोलॉजी, सर्जीकल गेस्ट्रोइंटोलॉजी, यूरोलॉजी, बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी, न्यूनेटोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन, ट्रामा एंड इमरजेंसी, फार्माकोलॉजी, माइक्रोबायलॉजी, पैथोलॉजी एंड लैब मेडिसिन, बायोकेमेस्ट्री, एनाटॉमी, फिजियोलॉजी।
Back to top button