एमवाय अधीक्षक सहित MGM मेडिकल कॉलेज के 8 डॉक्टर्स के रजिस्ट्रेशन 3 माह के लिए सस्पेंड

इंदौर.ड्रग ट्रायल में अनियमितता को लेकर एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) की एथिक्स कमेटी ने एमवाय अस्पताल के अधीक्षक, पूर्व अधीक्षक सहित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के आठ डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है। इन डॉक्टर्स पर इस अवधि में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाने की सिफारिश करते हुए एमसीआई ने मप्र और उप्र की मेडिकल काउंसिल को पत्र भेजे हैं। इन डॉक्टर्स में मेडिसिन, शिशु रोग और मानसिक रोग विभाग के विशेषज्ञ शामिल हैं।
एमवाय अधीक्षक सहित MGM मेडिकल कॉलेज के 8 डॉक्टर्स के रजिस्ट्रेशन 3 माह के लिए सस्पेंड
कार्रवाई एमवाय अधीक्षक और मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. वीएस पाल, पूर्व अधीक्षक डॉ. रामगुलाम राजदान, मेडिसिन विभाग के डॉ. अनिल भराणी, डॉ. आशीष पटेल, शिशु रोग विभाग के डॉ. हेमंत जैन, डॉ. उज्ज्वल सरदेसाई, डॉ. पाली रस्तोगी, डॉ. अभय पालीवाल पर की गई है।

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डॉ. राजदान का रजिस्ट्रेशन उप्र की मेडिकल काउंसिल में है। बताया जा रहा है कि इसलिए एक पत्र वहां भेजा गया है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. शरद थोरा ने बताया कि पत्र मिला है। मप्र मेडिकल काउंसिल द्वारा कार्रवाई करने के बाद ही कॉलेज स्तर पर किसी प्रकार का निर्णय लिया जाएगा। इस बारे में शासन से मार्गदर्शन मांगा है। एमसीआई की एथिक्स कमेटी के सदस्य डॉ. राजेंद्र एरन ने भी पुष्टि करते हुए बताया कि कार्रवाई का अधिकार संबंधित राज्य की काउंसिल को है। गौरतलब है कि इससे पहले भी मेडिसिन विभाग के दो डॉक्टर्स को ड्रग ट्रायल करने पर छह माह के लिए ब्लैक लिस्टेड किया जा चुका है।

 
सात साल पहले उठा था मामला
वर्ष 2010 से ड्रग ट्रायल का मामला उठता रहा है। ढेरों शिकायतें काउंसिल तक पहुंचीं। बताया गया कि मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों के डॉक्टर्स ने करीब दो हजार मरीजों पर कई ड्रग ट्रायल किए थे। इनमें से 81 मरीजों पर दवाओं के दुष्प्रभाव की बात सामने आई थी। इनमें से 35 की मौत ट्रायल के दौरान होना बताई गई थी। सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला विचाराधीन है, जिसमें एमसीआई को पार्टी बनाया गया है। वहीं, 19 फरवरी 2012 को राज्य सरकार ने छह डॉक्टर्स पर विभागीय जांच शुरू की थी। इनमें से दो डॉक्टर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। यह मामला विधानसभा में भी उठ चुका है।
 
आगे क्या : राज्य मेडिकल काउंसिल को करना है कार्रवाई
एमसीआई ने इन आठों डॉक्टर्स की प्रैक्टिस पर अस्थायी रोक की अनुशंसा की है। कार्रवाई संबंधित प्रदेश की मेडिकल काउंसिल को करना है। पद छोड़ने को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
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